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जब आतंकियों ने 26 मासूमों पर बरसाई गोलियाँ, तब एक हवलदार झंटू अली शेख ने सीना तानकर दी जान... यही है असली हिंदुस्थान

हिंदू श्रद्धालुओं पर आतंकी गोलियाँ, जवाब में एक मुसलमान फौजी का बलिदान- भारत की मिट्टी में सिर्फ धर्म नहीं, केवल वीरता की पहचान है

Ravi Rohan
  • Apr 29 2025 5:13PM

एक बार फिर पाकिस्तान प्रायोजित जिहादियों ने भारत की आत्मा को छलनी कर दिया। कश्मीर के पहलगाम में द रेजिस्टेंस फ्रंट के आतंकी, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही नया मुखौटा हैं, ने हिंदू श्रद्धालुओं को पहचान कर गोलियों से भून डाला। इस अमानवीय हमले में 26 निर्दोषों की जान चली गई। यह हमला सिर्फ हिंदुओं पर नहीं, यह हमला भारत की अस्मिता, हमारी एकता और शांति पर था। लेकिन भारत ने इसका जवाब नफरत से नहीं, बलिदान और अखंड राष्ट्रभाव से दिया।

सिर्फ दो दिन बाद- 24 अप्रैल को, जम्मू के उधमपुर में एक और आतंकी मुठभेड़ में 6 पैरा रेजिमेंट के हवलदार झंटू अली शेख, एक वीर मुसलमान सैनिक, मातृभूमि की रक्षा करते हुए बलिदान हो गए। न वह किसी धर्म के लिए लड़े, न किसी मजहब के लिए मरे। वह लड़े भारत के लिए, मरे भारत के लिए।

उनका बलिदान पाकिस्तान और उसके इस्लामी आतंकी नेटवर्क को करारा जवाब है- कि भारत की सेना में ना हिंदू होता है, ना मुसलमान, ना सिख, ना ईसाई। वहां सिर्फ "भारतीय सैनिक" होता है- जो हर मजहब के लोगों की रक्षा करता है, और ज़रूरत पड़ी तो उनके लिए प्राण भी देता है।

“मेरा भाई भारत के लिए मरा, मजहब के लिए नहीं”

बलिदानी हवलदार के भाई, सुबेदार रफील उल शेख, जो खुद भारतीय सेना में सेवारत हैं ने अंतिम विदाई पर आंखों में आंसू और सीने में गर्व लिए देश को एक संदेश दिया:
“मेरा भाई न मुसलमानों के लिए मरा, न हिंदुओं के लिए… वो हिंदुस्थान के लिए मरा। हमारी सेना में नफरत की कोई जगह नहीं है। हम एक साथ खाते हैं, एक साथ लड़ते हैं और ज़रूरत पड़ी तो एक साथ मरते हैं।”

ये शब्द न केवल आतंकियों को जवाब हैं, बल्कि उन ताकतों को भी करारा तमाचा हैं जो भारत में मजहबी नफरत फैलाकर हमारे बीच दरार पैदा करना चाहते हैं।

जब आतंकी हिंदू यात्रियों को उनका धर्म पूछकर मार रहे थे, तब एक मुस्लिम फौजी भारत की सरहद पर लड़ते हुए शहीद हो रहा था। यही है भारत, यही है सनातन भारत, जो मजहब नहीं, वतन की बात करता है।

अब वक्त आ गया है कि हम नफरत के जहर को जड़ से उखाड़ फेंके और हर बलिदानी को- चाहे वह किसी भी धर्म का हो, सच्ची श्रद्धांजलि दें: एकजुट होकर, भारत बनकर।
हवलदार झंटू अली शेख का बलिदान सिर्फ वीरता की कहानी नहीं, राष्ट्र के लिए एक चेतावनी है: भारत सबका है, और कोई भी दुश्मन इस एकता को तोड़ नहीं सकता।



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