क्या आप जानते हैं कि पिछले 10 वर्षों में 25 लाख भारतीयों ने अपना देश छोड़ दिया? यह केवल संख्या नहीं है, यह हमारे देश की आत्मा पर लगा सबसे बड़ा कलंक है। यह वही भारत है जिसने कभी “विश्व गुरु” कहलाने का गौरव पाया था। लेकिन आज, हमारी प्रतिभा, हमारे डॉक्टर, हमारे इंजीनियर, हमारे वैज्ञानिक—सब विदेशों की गोद में जा रहे हैं।
क्या भारत अपनी ही संतानों के लिए एक उपयुक्त मंच नहीं बन सका?
क्या यह मजबूरी है या संभावना है, जब माँ भारती की गोद सूनी हो रही है तो भी इस पर बात नहीं करेंगे ?
ब्रेन ड्रेन के चौंकाने वाले आंकड़े
2014 से 2024 के बीच 25 लाख भारतीयों ने बेहतर अवसरों की तलाश में भारत छोड़ा। इसका सीधा असर न केवल हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ा, बल्कि हमारे राष्ट्रीय गौरव पर भी।
1.₹20 लाख करोड़ का नुकसान:
• यह आंकड़ा भारत के कुल वार्षिक बजट का लगभग 25% है।
• भारत के 6 महीने के जीएसटी संग्रह के बराबर।
• यह नुकसान पाकिस्तान के पूरे वार्षिक बजट से भी अधिक है।
•सोचिए, यह रकम हमारे स्कूल, अस्पताल, और R&D में लगाई जा सकती थी।
2.स्वास्थ्य क्षेत्र का विनाश:
•10 वर्षों में 5 लाख डॉक्टरों की कमी हो गई।
•ये डॉक्टर हर साल लाखों भारतीयों की जान बचा सकते थे, लेकिन आज वे विदेशी धरती पर काम कर रहे हैं।
•क्या यह भारतीय जीवन का अपमान नहीं है?
3.नवाचार और विज्ञान का पतन:
•IT सेक्टर में ₹2.5 लाख करोड़ की संभावित आय का नुकसान।
•भारत का हर चौथा इंजीनियर विदेश में काम कर रहा है।
•क्या भारत अब सिर्फ श्रमशक्ति भेजने वाला देश बनकर रह जाएगा?
भावनात्मक पक्ष: माँ भारती की पुकार
क्या आपने कभी सोचा है कि जब कोई युवा अपनी माँ को छोड़कर विदेश चला जाता है, तो माँ भारती पर क्या गुजरती होगी?
यह सिर्फ एक व्यक्ति का पलायन नहीं है, यह माँ भारती के सपनों का विस्थापन है।
•हर बार जब कोई भारतीय विदेश जाता है, तो यह हमारी मिट्टी से उगने वाले फूल को किसी और की बगिया में खिलाने जैसा है।
•यह हमारे बच्चों के भविष्य को पराए हाथों में सौंपने जैसा है।
क्या आप अपनी मातृभूमि को यूं लूटते देख सकते हैं?
ब्रेन ड्रेन के कारण: कौन जिम्मेदार?
1.सरकारी विफलता:
सरकारें रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं दे सकीं।
R&D पर निवेश पिछले 10 वर्षों में GDP का सिर्फ 0.65%-0.7% रहा।
2.बेहतर जीवन स्तर की तलाश:
विदेशों में उच्च वेतन, सामाजिक सुरक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं का आकर्षण युवाओं को खींचता है।
3.शिक्षा में सीमित अवसर:
भारतीय विश्वविद्यालय वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे हैं।
4.कम वेतन:
भारत में वेतन इतना कम है कि विदेश में उसी काम के लिए 5-7 गुना अधिक पैसे मिलते हैं।
ब्रेन ड्रेन के परिणाम: भारत पर भारी पड़ता नुकसान
1.₹20 लाख करोड़ का नुकसान:
यह रकम हमारे 6 महीने के जीएसटी संग्रह के बराबर है।
सोचिए, इससे 10,000 नए अस्पताल बन सकते थे।
50,000 से अधिक स्कूलों को अपग्रेड किया जा सकता था।
भारत के हर गांव को डिजिटल इंडिया का हिस्सा बनाया जा सकता था।
2.डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की कमी:
5 लाख डॉक्टरों की कमी ने हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र को कमजोर कर दिया।
क्या यह उस गरीब की मौत का कारण नहीं है, जो इलाज का इंतजार करता है?
3.नवाचार में गिरावट:
भारत अब “आईटी सेवाओं का केंद्र” तो है, लेकिन “टेक्नोलॉजी इनोवेशन का नेता” नहीं बन सका।
4.राष्ट्रीय आत्मसम्मान का पतन:
जब हमारी प्रतिभा भारत छोड़ती है, तो यह हमारे आत्मविश्वास पर भी गहरा आघात करती है।
समाधान: इस पलायन को कैसे रोकें?
1.रोजगार के अवसर बढ़ाएं:
अधिक उद्योग स्थापित करें और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करें।
2.R&D में निवेश बढ़ाएं:
GDP का कम से कम 2% अनुसंधान और विकास में लगाया जाए।
3.प्रतिस्पर्धात्मक वेतन और सुविधाएं दें:
भारतीय कंपनियों और सरकारी संस्थानों को वेतन और सुविधाओं को वैश्विक स्तर पर लाना होगा।
4.“ब्रेन गेन” योजनाएं शुरू करें:
विदेश में बसे भारतीयों को भारत लौटने के लिए आकर्षक नीतियां बनानी होंगी।
5.विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करें:
भारतीय विश्वविद्यालयों को नवाचार और शोध का केंद्र बनाया जाए।
निष्कर्ष: क्या भारत जागेगा?
यह लड़ाई केवल आर्थिक नुकसान की नहीं है, यह हमारे राष्ट्रीय गौरव की लड़ाई है।
हर भारतीय को सोचना होगा—क्या आप अपनी प्रतिभा को, अपने सपनों को, और अपनी आत्मा को परदेश में खोने देंगे?
सरकार को इस मुद्दे को प्राथमिकता देनी होगी। यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है, यह भारत के भविष्य का सवाल है।
आइए, एक साथ कदम उठाएं, और सुनिश्चित करें कि भारत की प्रतिभा, भारत की मिट्टी में ही उगे, और यहीं देश का नाम रोशन करे।
माँ भारती की पुकार सुनिए। यह समय है जागने का।
भारत माता की जय।
डॉक्टर सुरेश चव्हाणके।