वसंत पंचमी के बाद संगम तट पर अमृत स्नान के बाद सभी 13 अखाड़ों के साधु-संन्यासियों और नागा साधुओं का अगला पड़ाव काशी होती है। इस यात्रा में किन्नर अखाड़े के संन्यासी भी शामिल होते हैं। वसंत पंचमी के बाद त्रिवेणी तट से शिविर खुलने लगते हैं और काशी के गंगा तट पर मिनी कुंभ का आयोजन शुरू होता है। यह आयोजन होली तक चलता है।
तंबू और साधु-संन्यासियों की नगरी बनती काशी
काशी के घाटों, मठों, आश्रमों, और धर्मशालाओं में नागा साधुओं का जमावड़ा लग जाता है। तंबुओं से सजी इस नगरी में भगवा रंग की छटा, जटा-जूट और भूत-भभूत का माहौल बनता है। काशी होली पर्व तक साधुओं से गूंजती रहती है।
प्रशासन की तैयारी और प्रमुख अखाड़ों का केंद्र
काशी में होने वाली इस मिनी कुंभ के आयोजन की तैयारियों में प्रशासन और मठ-मंदिर जुटे हुए हैं। चार प्रमुख शैव अखाड़ों के मुख्यालय काशी में ही स्थित हैं, जिनमें श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा और अन्य शैव संन्यासी अखाड़े प्रमुख हैं। इनमें हनुमान घाट पर जूना अखाड़ा, दशाश्वमेध घाट पर आवाहन अखाड़ा और अन्य घाटों पर भी विभिन्न अखाड़ों के मुख्यालय और शाखाएं स्थापित हैं। इन सभी अखाड़ों के हजारों संन्यासी काशी में ठहरते हैं।
शोभायात्रा और नगर प्रवेश की तारीखें
8 फरवरी को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के साथ अग्नि और आवाहन अखाड़े के नागा संन्यासी संगम स्नान के बाद काशी की ओर प्रस्थान करेंगे। इस दौरान पैदल, घोड़ों और वाहनों के माध्यम से काशी पहुंचने वाले इन संन्यासियों का नगर प्रवेश रमता पंच के नेतृत्व में भव्य शोभायात्रा के रूप में होगा। 12 फरवरी को जपेश्वर मठ से शोभायात्रा निकलेगी और सभी संन्यासी अपने लाव-लश्कर के साथ हनुमान घाट पहुंचेंगे।
महाशिवरात्रि पर राजसी यात्रा
महाशिवरात्रि के दिन जूना अखाड़े के नागा संन्यासी एक भव्य राजसी सवारी में हनुमान घाट से श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। इस यात्रा में पांच से छह हजार नागा साधु शामिल होंगे। रथों और घोड़ों पर सवार साधु बाबा दरबार तक पहुंचकर मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद सभी साधु गंगा स्नान, बाबा के दर्शन और साधना में व्यस्त रहेंगे, जो होली तक चलता रहेगा।