केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 28 फरवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें संगम पर गंगा के पानी को नहाने योग्य बताया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार, गंगा का पानी सभी तय मानकों पर खरा उतरा और इसे नहाने के लिए सुरक्षित पाया गया।
समाजवादी पार्टी के सांसद का सवाल
इस बीच समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया ने लोकसभा में यह सवाल उठाया कि क्या CPCB ने NGT में कहा था कि कुंभ के दौरान गंगा का पानी नहाने योग्य नहीं था? इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या गंगा के पानी में मल-मूत्र की अधिक मात्रा थी?
CPCB की 3 फरवरी की रिपोर्ट और NGT के निर्देश
पर्यावरण मंत्रालय ने जवाब में बताया कि 3 फरवरी, 2025 को CPCB ने NGT को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें यह बताया गया कि 12 से 26 जनवरी के बीच किए गए परीक्षणों के आधार पर संगम का पानी नहाने योग्य नहीं था। इसके बाद NGT के निर्देश पर गंगा के पानी की और विस्तृत जांच की गई, जिसमें दिन में दो बार पानी की गुणवत्ता की माप ली गई। इस जांच के बाद 28 फरवरी, 2025 को सौंपी गई अंतिम रिपोर्ट में संगम का पानी नहाने योग्य पाया गया।
कुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए UP सरकार की पहल
लोकसभा में यह भी बताया गया कि कुंभ 2025 के दौरान पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाए थे। इन कदमों में नदियों में गंदा पानी गिरने पर रोक लगाना और कुंभ क्षेत्र की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाना शामिल था।
CPCB और UPPCB की रिपोर्टों में मतभेद
CPCB ने 3 फरवरी 2025 को रिपोर्ट दी थी, जिसमें संगम का पानी नहाने योग्य नहीं बताया गया था, जबकि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने 18 फरवरी 2025 को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें यह कहा गया कि 6 स्थानों पर पानी नहाने योग्य था। इसके बाद NGT ने UPPCB की रिपोर्ट पर असंतोष जताया और अगर CPCB की रिपोर्ट गलत थी, तो उचित कार्रवाई के निर्देश दिए।
सरकार का आधिकारिक बयान
हालांकि, केंद्रीय और राज्य एजेंसियों की रिपोर्टों में मतभेद थे, सरकार का आधिकारिक बयान यही रहा कि कुंभ 2025 के दौरान संगम का पानी नहाने योग्य था।