सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

25 फरवरी: जन्मजयंती पद्मभूषण अमरनाथ झा जी... हिन्दी को राजभाषा बनाने के लिए जिन्होंने दिया बहुमूल्य योगदान

जिस महान व्यक्तित्व की आज जन्मजयंती है वह भारत के प्रसिद्ध विद्वान, साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री थे.

Sumant Kashyap
  • Feb 25 2025 8:48AM
जिस महान व्यक्तित्व की आज जन्मजयंती है वह भारत के प्रसिद्ध विद्वान, साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री थे. उन्होंने हिन्दी को राजभाषा और सम्माननीय स्तर तक ले जाने के लिए बहुमूल्य योगदान दिया था. अमरनाथ झा जी को एक कुशल वक्ता के रूप में भी जाना जाता था. अमरनाथ झा जी हिन्दी के प्रबल समर्थकों में से एक थे. अमरनाथ झा जी को कुशल वक्ता के रूप में भी जाना जाता था. शिक्षा के क्षेत्र और हिन्दी को राजभाषा बनाने के लिए उनके योगदान को देखते हुए उन्हें सन् 1954 में 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया था. इसके साथ उन्होंने कई पुस्तकों की भी रचना की. ऐसे विद्वान साहित्यकार अमरनाथ झा जी को उनकी जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.

अमरनाथ झा जी का जन्म 25 फरवरी सन् 1897 को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था. अमरनाथ झा जी के पिता डॉ. गंगानाथ झा एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान् थे. अमरनाथ झा जी की शिक्षा इलाहाबाद में हुई थी. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. किया था जिसकी परीक्षा में वे सर्वप्रथम रहे थे. इसके साथ ही अमरनाथ झा जी को उनकी योग्यता के कारण एम.ए. पास करने से पहले ही 'प्रांतीय शिक्षा विभाग' में अध्यापक नियुक्त कर लिया गया था. 

 बता दें कि अमरनाथ झा जी ने सन् 1903 से 1906 तक कर्नलगंज स्कूल में शिक्षा ली थी. जिसके बाद उन्होंने सन् 1913 में स्कूल लिविंग परीक्षा में प्रथम श्रेणी में हुए थे, इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेज़ी, संस्कृत एवं हिंदी में विशेष योग्यता प्राप्त की थी. 1913 से 1919 तक अमरनाथ झा जी ने म्योर सेंटर कॉलेज, प्रयाग में शिक्षा ग्रहण की. 

अमरनाथ झा जी ने सन् 1917 में बीए की परीक्षा में वं 1919 में एम.ए. की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. सन् 1917 में ही उन्हें म्योर कॉलेज में अंग्रेजी का प्रोफेसर बनाया गया, जिसके बाद वे सन् 1929 में विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर बने. अमरनाथ झा जी 1921 में प्रयाग म्युनिसिपलिटी के सीनियर वाइस चेयरमैन बने थे और उसी वर्ष वो पब्लिक लाइब्रेरी के मंत्री बने. 

इतना ही नहीं सन् 1938 से 1947 तक अमरनाथ झा जी प्रयाग विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे थे. बाद में 1948 में अमरनाथ पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन बने. अमरनाथ झा जी उत्तर प्रदेश और बिहार के 'लोक लेवा आयोग' के अध्यक्ष भी रहे थे. इसके साथ ही वो एक वर्ष के लिए 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' के वाइस चांसलर का पदभार भी सम्भाला था. 

अमरनाथ झा जी अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे. उन्होंने इलाहाबाद और आगरा विश्वविद्यालयों ने एल.एल.ड़ी. और 'पटना विश्वविद्यालय ने डी.लिट् की उपाधि प्रदान की थी. जिसके बाद सन् 1954 में उन्हें 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया था. उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना की थी. जिसके बाद 2 सितम्बर, 1955 को उनका देहांत हो गया था.

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

ताजा समाचार