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16 मार्च : बलिदान दिवस महान राष्ट्रभक्त गणेश दामोदर सावरकर जी... जिन्होंने भारतीय संस्कृति और अपने भाई वीर सावरकर जी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया

Ganesh Damodar Savarkar: आज स्वतंत्रता के उस महानायक को उनके बलिदान दिवस पर बारम्बार नमन करते हुए उनके यशगान को सदा-सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार दोहराता है.

Ravi Rohan/Sumant Kashyap
  • Mar 16 2025 9:00AM
आज़ादी के ठेकेदारों ने जिस वीर के बारे में नही बताया होगा, बिना खड्ग बिना ढाल के आज़ादी दिलाने की जिम्मेदारी लेने वालों ने जिसे हर पल छिपाने तो दूर सदा के लिए मिटाने की कोशिश की है. आज उन लाखों सशस्त्र क्रांतिवीरों में से एक गणेश दामोदर सावरकर जी की बलिदान है. वहीं, आज स्वतंत्रता के उस महानायक को उनके बलिदान दिवस पर बारम्बार नमन करते हुए उनके यशगान को सदा-सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार दोहराता है. 

महान राष्ट्रभक्त गणेश दामोदर सावरकर जी का जन्म 13 जून 1879 को महाराष्ट्र के नासिक के पास भागपुर नामक गांव में चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. शुरुआती शिक्षा के दौरान इनका मन धर्म, योग और जप-तप में ज्यादा लगता था. वह संन्यासी बनने की सोचने लगे थे. इस बीच इनके पिता का प्लेग महामारी में निधन हो गया. पिता की मौत से 7 साल पहले मां राधाबाई का भी निधन हो चुका था. 

बाबाराव जी घर में सबसे बड़े थे, ऐसे में इनके ऊपर अपने दो छोटे भाइयों और बहन की जिम्मेदारी आ गई. वह इस जिम्मेदारी के साथ-साथ धर्म के प्रति भी अपना कर्तव्य निभाते रहे. वह अभिनव भारत सोसायटी नामक क्रांतिकारी दल से जुड़ गए और जल्द ही उसके सक्रिय सदस्य हो गए. बाद में इनके छोटे भाई वीर सावरकर जी भी इसी दल से जुड़े. कहा जाता है कि इस दल की स्थापना बाबाराव ने ही की थी. बीस वर्ष की आयु में उनके माता-पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार का दायित्व उनके ऊपर आ गया.

दरअसल, अंग्रेज़ी राज के खिलाफ सशस्त्र क्रांति और विद्रोह के ज़बरदस्त समर्थक बाबारावके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने युवाओं को हथियार बांटकर उन्हें अंग्रेज़ी राज से लोहा लेने का संदेश दिया था. एक रिपोर्ट की मानें तो इसके साथ ही, बाबाराव जी ने 1904 में क्रांतिकारी संगठन अभिनव भारत सोसायटी की स्थापना भी की थी.

1909 में नासिक के कलेक्टर एएमटी जैक्सन को अनंत कान्हेरे नामक क्रांतिकारी ने मौत के घाट उतार दिया था. इसे नासिक षडयंत्र के नाम से दर्ज किया गया और जांच के बाद अंग्रेज़ी अदालत ने माना कि इस कांड के पीछे गणेश दामोदर सावरकर जी सहित सावरकर बंधुओं का दिमाग था. इसके बाद गणेश दामोदर सावरकर जी और वीर सावरकर जी को जेल भेज दिया गया था.

हेडगेवार जी एवं अन्य तीन हिंदूवादी नेताओं के साथ मिलकर आरएसएस की नींव रखने वाले गणेश सावरकर जी के बारे में बताया गया है कि पहली बार गणेश दामोदर सावरकर जी ने ही भारत को हिंदू राष्ट्र कहा था. यह भी गौरतलब है कि सावरकर जी ने जिस आरएसएस की नींव रखी थी, उस संस्था को गांधी की हत्या के सिलसिले में कुछ समय तक के लिए प्रतिबंधित भी किया गया था.

गणेश दामोदर सावरकर जी का बलिदान 16 मार्च 1945 को हुआ था. गणेश दामोदर सावरकर जी को आरएसएस के पांच संस्थापकों में से एक माना जाता है. उन्होंने इसकी अवधारणा को अपने एक निबंध के जरिये भी स्पष्ट किया था.वहीं, आज स्वतंत्रता के उस महानायक को उनके बलिदान दिवस पर बारम्बार नमन करते हुए उनके यशगान को सदा-सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार दोहराता है.

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