देश में बढ़ रहीं धर्मान्तरण की घटनाओं के बीच प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बाबू के एक बयान ने नई चर्चा छेड़ दी है। मोरारी बाबू ने दावा किया है कि स्कूलों में पढ़ाने वाले 75 प्रतिशत टीचर ईसाई हैं जो मासूम छात्रों में अपने मत का प्रचार-प्रसार करते हैं। कथावाचक ने यह भी कहा कि ईसाइयत का यह प्रचार सरकार से ही वेतन के तौर पर पैसे ले कर किया जा रहा है। सोशल मीडिया से ले कर जमीन तक इस बयान का हिंदूवादियों द्वारा समर्थन किया जा रहा है।
मोरारी बापू ने यह बयान तापी के सोनागढ़ में अपनी कथा के दौरान दिया है। इस कथा में हजारों लोगों की मौजूदगी थी। इन लोगों के बीच ने मोरारी बापू ने कहा कि फ्री शिक्षा के नाम पर मासूम छात्रों के अंदर ईसाईयत के बीज बोये जा रहे हैं। इन स्कूलों में पढ़ाने वाले 75% शिक्षक ईसाई हैं। ये शिक्षकों को सैलरी तो सरकार से मिलती है लेकिन काम वो मिशनरियों का कर रहे हैं।
मोरारी बापू का यह भी दावा है कि धर्मान्तरण के इस जाल में फँसने वाले अधिकतर लोग भोले-भाले जनजातीय समुदाय के बच्चे हैं। उन्होंने ऐसे तत्वों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की जरूरत बताई। साथ ही बहुत दुखी मन से मोरारी बापू ने खुद भी धर्मान्तरण के इस सिस्टम का अपने स्तर से विरोध करने का वीणा उठाया। उन्होंने गुजरात में ही पिछले साल मतांतरण रोकने के लिए शंकराचार्य के कार्यों को भी याद किया।
कुछ ही देर में मोरारी बापू का यह बयान वायरल हो गया। उनके बयान पर अधिकतर लोगों ने समर्थन किया है। गुजरात के गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने राम कथा मंच से ही एलान कर दिया कि भोले-भाले जनजातीयों को धर्मान्तरित करने की साजिश रचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जैसे कुछ समूहों ने मोरारी बापू के बयान का विरोध किया है।