इस खबर पर खुद को सेक्यूलरिज्म, लोकतंत्र तथा हिंदू मुस्लिम एकता का ठेकेदार बताने वाले पूरी तरह से चुप्पी साध गए हैं. मजहबी उन्मादी महिला प्रधानाध्यापिका झरना बाला शाह का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह हिंदू हैं तथा उन्हें एक उर्दू विद्यालय की प्रधानाध्यापिका बनाया गया है. बड़ी बात ये है कि खुद को सेक्यूलरिज्म की पुरोधा बताने वाली RJD का विधायक सऊद आलम नदवी भी हिंदू प्रधानाध्यापिका की नियुक्ति का विरोध कर रहा है.
मामला बिहार के किशनगंज स्थित ‘उर्दू लाइन मध्य विद्यालय’ का जहां हिंदी भाषी प्रधानाध्यापिका की नियुक्ति को मुस्लिम लोगों द्वारा साम्प्रदायिक रँग देने का प्रयास किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे किशनगंज के ‘उर्दू लाइन मध्य विद्यालय’ में कुछ दिनों पूर्व हिंदी-भाषी महिला प्रधानाध्यापिका झरना बाला शाह की प्रतिनियुक्ति की गई थी. जब महिला प्रधानाध्यापिका पदभार ग्रहण करने पहुँची तो उर्दू भाषी प्रधानाध्यापक अंजर अलीम और अन्य उर्दू भाषी अध्यापकों ने उनकी नियुक्ति का विरोध करना शुरू कर दिया.
स्थानीय लोगों को भी यह कर भड़काया गया कि उर्दू विद्यालय में किसी गैर उर्दू भाषी अध्यापिका की नियुक्ति अनुचित है. हालाँकि, विद्यालय में उर्दू के अलावा भी अन्य सभी विषय पढ़ाए जाते हैं और किशनगंज में ऐसे कई हिंदी भाषी विद्यालय हैं, जहाँ उर्दू भाषी अध्यापकों की नियुक्ति हुई है, लेकिन कहीं भी इस तरह विवाद कभी सामने नहीं आया. शिक्षिका के पदभार ग्रहण करने में बाधा उत्पन्न करने के मामले में प्रभारी प्रधानाध्यापक अंजर अलीम को शासन ने सस्पेंड कर दिया है.
उन्हें सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने के आरोप में डीईओ सुभाष कुमार गुप्ता ने सस्पेंड किया गया है. सस्पेंशन के बाद उनका मुख्यालय पोठिया प्रखंड का प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का कार्यालय कर दिया गया है. विद्यालय में नियुक्ति के मामले में आरजेडी के स्थानीय विधायक सऊद आलम नदवी भी कूद पड़े. नदवी ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर उर्दू विद्यालय में हिंदी भाषी अध्यापिका की नियुक्ति का विरोध किया है और कहा है कि विद्यालय में किसी उर्दू भाषी अध्यापक की ही नियुक्ति की जाए.