संसद भवन के दोनों सदनों के साथ अब राष्ट्रपति ने वक्फ बोर्ड की तानाशाही पर नकले लगाने वाले बिल को मंजूरी दे दी है। यह बिल 232 सांसदों के विरोध के बावजूद पास हुआ है। इस 232 विरोधियों वाली लिस्ट मे ज्यादातर लोगों के नाम हिन्दू जैसे लगते हैं । आपको लगता होगा कि ये सभी हिन्दू हैं । लेकिन एक कहावत है कि नाम मे क्या रखा है। वो कहावत यहाँ एकदम फिट बैठ रही है। नाम मे कुछ नहीं रखा, देखना है तो इनका काम देखो।
अगर बात हिंदुओं के विरोध की हो तो आप इनको सबसे आगे पाएंगे। जैसे श्रीरामचरितमानस फाड़ना, हिंदुओं की जातियाँ गिनवाना, छोटी-बड़ी जाति को आपस मे भिड़ाना, मुगलों से लड़े महाराणा सांगा जैसे शूरवीरों का अपमान करना, सनातन को बीमारी कहना, भगवा को आतंकवाद बताना, श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का विरोध करना, रामसेतु को तोड़ने की पैरवी करना, सनातनी देवी-देवताओं को काल्पनिक बताना, हिन्दुत्व की कब्र खोदने वाले नारेबाजों का खुला समर्थन करना, काशी मे ब्लास्ट करने वाले आतंकियों का केस वापस लेना, महाकुंभ को मृत्युकुंभ कहना, धर्मांतरण करवाने वाले जाकिर नाईक जैसे आतंकियों को खुल कर गले लगाना, मुख्तार अंसारी जैसे आतंकियों के जनाजे मे कंधा देना, अतीक अहमद की मौत पर छाती पीट कर आँसू बहाना, आदि आदि । लिस्ट इतनी लंबी है कि उसके लिए महीनों शो चलाना पड़ेगा।
बात सिर्फ धर्म से जुड़ी होती तो भी एक बार कबूल थी। लेकिन तब कैसे चुप रहा जाए जब धर्म के बाद ये गिरोह देश पर भी आघात शुरू कर दे। जैसे याकूब मेनन जैसे नरपिशाचों के लिए आधी रात मे अदालत खुलवाना, संसद पर हमला करवाने वाले आतंकी अफजल गुरु के लिए दया याचिका पेश करना, चोरी चुपके दुश्मन देश चीन के अधिकारियों से मिलना, अनगिनत पैरामिलिट्री के योद्धाओं के हत्यारे नक्सलियों को शहीद बताना, कश्मीर को अपने बाहुबल से बचा कर रखने वाली सेना को मानवाधिकार के नाम पर अदालतों मे घसीटना, पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले रणबांकुरों से सबूतों मांगना, वक्फ बोर्ड पर लगाम और 370 हटने पर खून की नदी बहाने की धमकियाँ देना, थलसेनाध्यक्ष को गली का गुंडा कहना, बटला हाउस आतंकी मुठभेड़ मे वीरगति पाने वाले पुलिस इंस्पेक्टर पर ही सवाल खड़े करना, मरे आतंकियों की लाशें देख कर रो पड़ना । यह लिस्ट भी इतनी लंबी है कि गिनने के लिए शायद कैलकुलेटर भी हैंग हो जाए ।
अब हम आप पर छोड़ते हैं। इनको क्या कहा जाए ? हिन्दू तो वो है जिसे हिन्द की मिट्टी अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय है। हिन्द की वही मिट्टी जिसमें प्रभु श्रीराम और योगेश्वर श्रीकृष्ण खेल कर पल-बढ़े थे, वही हिन्द की मिट्टी जहाँ महाराणा प्रताप जी और छत्रपति शिवाजी महराजा जैसे देवतुल्यों ने अंतिम सांस तक अधर्म का प्रतिकार किया, वही पवित्र स्थान जहाँ महाराज सूरजमल और राजा रणजीत सिंह जैसे हिन्दू सम्राटों ने धर्मध्वजा को सदा फहराए रखा। यहाँ हमने जितने भी नाम बताए उसमें से क्या कभी एक भी नाम आपने संसद मे इन सांसदों के मुँह से ससम्मान सुने हैं ? इन्ही सांसदों की बात कर रहा जो नाम से हिन्दू लगते हैं। काईयों ने तो माथे पर टीका और हाथ मे कलावा भी पहन रखा है। कुछ एकादशी का व्रत रखने का भी दावा करते हैं। लेकिन सवाल ये है कि ये असल मे हैं क्या ? आज बिंदास बोल मे हम और आप मिल कर यही पड़ताल करेंगे। जुड़िये सुदर्शन न्यूज से रात 8 बजे बिंदास बोल मे सुरेश चव्हाणके जी के साथ।