दमोह : 08 अप्रैल 2024
कृषि एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में नरवाई प्रबंधन प्रदर्शन का आयोजन कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर के निर्देशन पर कृषि विज्ञान केंद्र दमोह प्रक्षेत्र में गेहूं फसल की नरवाई प्रबंधन पर बण्डल बनाने का कार्य प्रदर्शन के माध्यम से दिखाया गया। इस कार्यक्रम में जिले के 20 से 30 प्रगतिशील कृषकों की सहभागिता रही। इन मशीनों का उपयोग कर कृषक भाई बिना आग लगाए अपने खेत की नरवाई का प्रबंधन कर सकते है। नरवाई जलाने पर अर्थ दण्ड एवं कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है। इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. मनोज कुमार अहिरवार, वैज्ञानिक डॉ. राजेश कुमार द्विवेदी एवं वैज्ञानिक डॉ. बी.एल.साहू, उपसंचालक कृषि जितेंद्र सिंह राजपूत, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी आर.के.जैन, तकनीकी सलाहकार राघवेंद्र भारद्वाज एवं जबलपुर से नरवाई प्रबंधन मशीनों के तकनीकी विशेषज्ञ दीपक शुक्ला मौजूद थे।
नरवाई में आग लगाने से हानि
कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डॉ.मनोज कुमार अहिरवार ने किसान भाईयों से कहा नरवाई में लगभग नत्रजन 0.5, स्फुर 0.6 और पोटाश 0.8 प्रतिशत पाया जाता है, जो नरवाई में जलकर नष्ट हो जाता है। गेहूं फसल के दाने से डेढ़ गुना भूसा होता है। यदि एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल गेहूं उत्पादन होगा तो भूसे की मात्रा 60 क्विंटल होगी और इस भूसे से 30 किलो नत्रजन, 36 किलो स्फुर, 90 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर प्राप्त होगा, जो वर्तमान मूल्य के आधार पर लगभग 300 रुपये का होगा जो जलकर नष्ट हो जाता है। इससे भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है।
उन्होंने बताया भूमि में सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं। सूक्ष्मजीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद निर्माण बंद हो जाता है। भूमि की ऊपरी पर्त में ही पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते हैं, आग लगाने के कारण ये पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है और फसलें जल्दी सूखती हैं। खेत की सीमा पर लगे पेड़- पौधे (फल वृक्ष आदि) जलकर नष्ट हो जाते हैं। पर्यावरण प्रदूषित होता है। तापमान में वृद्धि होती है और धरती गर्म होती है। कार्बन से नाइट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। केंचुए नष्ट हो जाते हैं इस कारण भूमि की उर्वराशक्ति कम हो जाती है। नरवाई जलाने से जन-धन की हानि होती है।
नरवाई समाधान इन कृषि यंत्रों एवं उपायों का उपयोग करें
उन्होंने बताया सुपर सीडर यंत्र से फसल कटाई बाद नमी है, तो बुवाई की जा सकती है। हैप्पी सीडर यंत्र से भी सीधे बोनी की जा सकती है। धान के बाद सीधे गेहूं लगाया जा सकता है। जीरो टिलेज सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल से नरवाई की अवस्था में भी बुवाई हो सकती है। रीपर कम बाइंडर से फसल अवशेष जड़ से समाप्त हो जाते हैं। रोटावेटर यंत्र मिट्टी को भुरभुरी बनाता है तथा गीली -सूखी दोनों प्रकार की भूमि पर इससे जुताई होती है। रोटावेटर चलाने के बाद बोनी की जा सकती है।
कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रारीपर का उपयोग करके भूसा बनाया जा सकता है। स्लाइसर, रैकर एवं बेलर मशीनों का उपयोग भी किसान भाई नरवाई प्रबंधन हेतु कर सकते है। पूसा डीकंपोजर’ का प्रयोग जैविक कचरे से तत्काल खाद बनाने के लिए किया जाता है
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