हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हुई। नवरात्रि के दो दिन बहुत खास माने जाते हैं, अष्टमी और नवमी। अष्टमी तिथि के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है और नवमी तिथि के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार 11 अक्टूबर यानी आज महाअष्टमी की पूजा की जा रही है, इसके साथ ही महानवमी की कन्या पूजा भी आज की जाएगी
महाअष्टमी-महानवमी 2024 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर यानी कल दोपहर 12.31 बजे शुरू हो गई है और 11 अक्टूबर यानी आज दोपहर 12.06 बजे समाप्त होगी। इसके बाद अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी। अष्टमी तिथि के बाद नवमी तिथि प्रारंभ होगी। नवमी तिथि आज दोपहर 12:06 बजे से शुरू होगी और 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 बजे समाप्त होगी। ऐसे में आज महाअष्टमी और महानवमी दोनों मनाई जा रही हैं।
महाअष्टमी-महानवमी कन्या पूजन मुहूर्त
पहला मुहूर्त- कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त आज सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 20 मिनट तक है।
दूसरा मुहूर्त- यानी अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
तीसरा मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 3 मिनट से लेकर 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
महाअष्टमी-महानवमी कन्या पूजन के नियम
नवरात्रि में सभी तिथियों और अष्टमी या नवमी पर एक-एक करके नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है। दो वर्ष की कन्या (कुमारी) की पूजा करने से देवी मां दुख और दरिद्रता दूर करती हैं। तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति का स्वरूप माना जाता है। त्रिमूर्ति कन्या की पूजा से परिवार में धन-संपदा और सुख-समृद्धि आती है। चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है। इसके पूजन से परिवार का कल्याण होता है। वहीं पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा जाता है। रोहिणी की पूजा करने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है।
ज्ञान, विजय और राजयोग की प्राप्ति समय पर होती है। सात वर्ष की कन्या का स्वरूप चंडिका का है। चंडिका स्वरूप की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है। आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी कहा जाता है। इनकी पूजा से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा कहा जाता है। इसकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और असंभव कार्य भी सिद्ध होते हैं। दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है। सुभद्रा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
महानवमी पर क्यों होता है हवन
शारदीय नवरात्रि हो या चैत्र नवरात्रि, हर साल महानवमी के मौके पर हवन किया जाता है। मान्यता यह है कि हवन की अग्नि और सुगंधित धुएं के माध्यम से यज्ञ, अनुष्ठान और पूजा का सार नवग्रहों और देवताओं तक पहुंचता है, जिससे वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। इसलिए नवरात्रि के आखिरी दिन विधि-विधान से हवन किया जाता है और तभी 9 देवियों की पूजा सफल मानी जाती है।
नवरात्रि में हवन का शुभ मुहूर्त क्या है
नवरात्रि 2024 के आखिरी दिन कन्या पूजा की जाती है, जिसके बाद हवन के साथ नौ दुर्गाओं की पूजा समाप्त होती है। ऐसे में हवन का शुभ समय जानना बहुत जरूरी है। इस बार हवन के लिए 4 शुभ मुहूर्त हैं. इन शुभ मुहूर्त में हवन करना शुभ रहेगा और माता रानी प्रसन्न होंगी।
चर- सामान्य- सुबह 06 बजकर 19 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 बजकर 46 मिनट तक
लाभ- उन्नति- सुबह 07 बजकर 46 मिनट से सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक
अमृत- सर्वोत्तम- सुबह 09 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक
शुभ- उत्तम- दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक
विजयदशमी कब है?
विजयदशमी का त्योहार नवरात्रि के अगले दिन यानी 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। माँ दुर्गा ने राक्षस महिषासुर से 9 दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उन्होंने महिषासुर का वध कर दिया।इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा भगवान राम से जुड़ी एक मान्यता और भी है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था।