इस साल दशहरा 12 अक्टूबर शनिवार को है। दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष दशहरा 2024 में 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
पूजा की तैयारी
दशहरा पर पूजा करने के लिए कुछ विशेष तैयारी की जाती है। सबसे पहले, घर की साफ-सफाई करें। स्वच्छता, पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। फिर, एक पूजा स्थल तैयार करें, जहां आप देवी-देवताओं की मूर्तियों या चित्रों को स्थापित कर सकें। घर में रंगोली बनाना भी एक शुभ संकेत माना जाता है, जिससे घर की सुंदरता बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पूजा विधि
दीप जलाना: पूजा की शुरुआत दीप जलाने से करें। यह अंधकार को दूर करने और ज्ञान की प्रकाश लाने का प्रतीक है।
गंगाजल छिड़कना: पूजा स्थल को पवित्र करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। यह नकारात्मकता को दूर करता है।
फूल और फल चढ़ाना: देवी-देवताओं को ताजे फूल और फलों का भोग अर्पित करें। इससे आपकी भक्ति को दर्शाने के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
आरती करना: पूजा के बाद आरती करें और भगवान से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। आरती करते समय मन में सकारात्मक भाव रखें।
सभी की भलाई की प्रार्थना: केवल अपने लिए नहीं, बल्कि अपने परिवार, दोस्तों और समाज के लिए भी सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। यह आपके घर में प्रेम और एकता को बढ़ाता है।
ध्यान और साधना: पूजा के बाद कुछ समय ध्यान में बिताएं। इससे मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
विशेष उपाय
दशहरा पर कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जो आपकी आर्थिक स्थिति और खुशहाली को बढ़ा सकते हैं:
श्रीगणेश चालीसा का पाठ: इस दिन श्रीगणेश चालीसा का पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है और धन का आगमन होता है।
दक्षिणावर्ती शंख: इस दिन दक्षिणावर्ती शंख का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
चंद्रमा की पूजा: रात को चंद्रमा की पूजा करें और चंद्रमा को अर्पित कुछ मीठा भोग लगाएं। यह मानसिक शांति और सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है।