जया एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण उपव्रत है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और उपासना के लिए जाना जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जो अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए उपवास और साधना करते हैं। जया एकादशी का आयोजन हर वर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होता है। तो जानिए सही तिथि और महत्व।
कब है जया एकादशी?
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत शुक्रवार, 7 फरवरी को रात 9 बजकर 26 मिनट पर होगी और तिथि का समापन शनिवार, 8 फरवरी को रात 8 बजकर 15 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी को रखा जाएगा।
जया एकादशी का महत्व
जया एकादशी का विशेष महत्व धार्मिक और मानसिक दृष्टिकोण से है। इस दिन उपवास रखने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है, और उसके सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह उपवास उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में मदद करता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुख, संकट और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। साथ ही, यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करता है। जया एकादशी को भगवान विष्णु के विशेष रूप से शरणागत वत्सल रूप की पूजा की जाती है, जिससे भक्तों को उनका आशीर्वाद मिलता है।
कैसे करें जया एकादशी का व्रत
इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और उपव्रत का संकल्प लेते हैं। दिनभर सिर्फ फलाहार या फिर जल का सेवन किया जाता है। रात्रि को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और भजन-कीर्तन भी किया जाता है। अगले दिन प्रात: काल सूर्योदय के समय उपव्रत का पारण किया जाता है।