विजया एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, विजया एकादशी 24 फरवरी 2025, सोमवार को पड़ रही है। इस दिन पूजा और व्रत का पालन करने से व्यक्ति पर विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। वहीं फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने वालों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। तो जानिए सही तिथि और पूजा विधि।
विजया एकादशी पूजा विधि
स्नान और व्रत का संकल्प: विजया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल की तैयारी: घर के मंदिर या पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
चौकी पर स्थापना: एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पुष्प और भोग अर्पित करें: भगवान विष्णु को फूल, चंदन, धूप, दीप, फल, मिठाई और तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
मंत्र जाप: "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का जाप करें और भगवान विष्णु की आरती करें।
व्रत का पारण: व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। पारण का समय 25 फरवरी 2025 को सुबह 6:50 बजे से 9:08 बजे तक रहेगा।
विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी का व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और सभी शुभ कार्य पूर्ण होते हैं। मान्यता है कि भगवान राम ने लंका विजय के लिए बकदाल्भ्य मुनि के कहने पर समुद्र के तट पर विजया एकादशी का व्रत किया था, जिसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और भगवान राम ने लंका पर जीत हासिल की।
विजया एकादशी के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:11 बजे से 6:01 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:29 बजे से 3:15 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:15 बजे से 6:40 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:09 बजे से 12:59 बजे तक