वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में स्पष्ट किया कि सरकार अपने संपत्ति निर्माण की दिशा में लगातार प्रयासरत है। इस वित्तीय वर्ष के लिए पूंजीगत व्यय का लक्ष्य पिछले साल के मुकाबले 10.2 प्रतिशत बढ़ाया गया है।
यह बयान उस समय आया जब उद्योग जगत में यह चिंता जताई जा रही थी कि सरकार के घाटे को नियंत्रित करने के प्रयासों के कारण पूंजीगत व्यय पर असर पड़ सकता है। हालांकि, वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार का ध्यान उपभोग बढ़ाने पर होगा, जैसा कि बजट 2025 में घोषित कर दिया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पूंजीगत व्यय में कोई कमी आएगी।
कर्ज-से-जीडीपी अनुपात को घटाने की योजना
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार भविष्य में कर्ज-से-जीडीपी अनुपात को कम करने पर ध्यान देगी। इसके लिए सरकार दो प्रमुख कदम उठाएगी। पहला, उधारी में कटौती और दूसरा, जुलाई से लागू हुए राजकोषीय मार्ग का पालन। सीतारमण ने कहा, "सरकार कर्ज को कम करने के लिए सभी संभावित उपाय करेगी, लेकिन इसका असर सरकारी कार्यक्रमों पर नहीं पड़ेगा।"
बिजली क्षेत्र में सुधार और रोजगार के अवसर
वित्त मंत्री ने बिजली क्षेत्र में सुधारों पर भी बल दिया। उनका कहना था कि आने वाले कार्यक्रम न केवल बिजली की खपत को बढ़ाएंगे, बल्कि नए रोजगार के अवसर भी सृजित करेंगे। इस पहल से न केवल ऊर्जा की जरूरत पूरी होगी, बल्कि रोजगार के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बदलाव आएगा।
बीमा क्षेत्र में FDI सीमा बढ़ाने की योजना
वित्त मंत्री ने बीमा क्षेत्र में सुधार की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि सरकार इस क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाने की योजना बना रही है। उनका कहना था, "भारत को बीमा क्षेत्र में और अधिक खिलाड़ियों की आवश्यकता है, जिससे इसे व्यापक और गहरा बनाया जा सके।" साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि नए खिलाड़ियों को आकर्षित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन उपभोक्ताओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी नए सुरक्षा उपाय लागू किए जाएंगे।
MSME के लिए नई पहल
वित्त मंत्री ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा, "एमएसएमई को अब एक टर्म लोन मिलेगा, जो पहले कभी नहीं दिया गया था। पहले, उन्हें वर्किंग कैपिटल असिस्टेंस मिलती थी, लेकिन अब प्लांट और मशीनरी खरीदने के लिए भी टर्म लोन उपलब्ध होगा।" इससे MSME को अपनी प्रगति और विस्तार में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक छोटे और मध्यम उद्योगों के विशेष व्यापार चक्र को समझते हुए लोन प्रदान करते हैं, और सिडबी जैसी संस्थाएं छोटे उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेंगी।