कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के एक बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है। पित्रोदा के इस बयान को लेकर पार्टी ने उनसे दूरी बना ली है। सोमवार, 17 फरवरी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बयान जारी करते हुए कहा कि पित्रोदा के चीन पर दिए गए बयान को पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं माना जा सकता।
चीन भारत के लिए मुख्य चुनौती: जयराम रमेश
जयराम रमेश ने बताया कि चीन अब भारत की विदेश नीति, सुरक्षा, और आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पहले भी मोदी सरकार की चीन नीति पर सवाल उठा चुकी है, विशेष रूप से 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट को लेकर। हाल ही में, कांग्रेस का चीन पर आधिकारिक बयान 28 जनवरी 2025 को जारी किया गया था, जिसमें सरकार की चीन नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए गए थे।
मोदी सरकार के चीन संबंधों को लेकर कांग्रेस की चिंता
जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने मोदी सरकार के चीन के साथ संबंधों को सामान्य करने के निर्णय पर प्रतिक्रिया दी है। हालांकि, उनका सवाल है कि यह निर्णय उस समय क्यों लिया गया, जब 2024 के डिसइंगेजमेंट समझौते के कई मुद्दों पर अभी तक स्पष्टता नहीं आई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारत और चीन के बीच वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को फिर से स्थापित किया गया है, लेकिन सरकार ने यह नहीं बताया कि लद्दाख में भारतीय सेना की पेट्रोलिंग करने वाले क्षेत्र को वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
भारत-चीन सीमा पर स्थिति क्यों नहीं बहाल हो सकी?
कांग्रेस ने सरकार से यह भी पूछा कि मोदी सरकार क्या अप्रैल 2020 की स्थिति को फिर से बहाल करने में नाकाम रही है। 3 दिसंबर 2024 को संसद में विदेश मंत्री ने कहा था कि कुछ क्षेत्रों में स्थिति को स्थायी रूप से बदलने के लिए अस्थायी कदम उठाए गए हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत ने चीन के साथ एक 'बफर जोन' बनाने पर सहमति दी है, जिससे भारतीय सैनिक और पशुपालक पहले की तरह उन क्षेत्रों में नहीं जा सकते। कांग्रेस ने इसे 1986 के सुमदोरींग चू और 2013 के देपसांग विवादों से अलग बताया, जहां भारत की स्थिति को पूरी तरह से बहाल किए बिना कोई समझौता नहीं हुआ था।
प्रधानमंत्री के बयान को लेकर कांग्रेस की आलोचना
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से चीन को फायदा हुआ। जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री के शब्दों ने चीन को भारत के खिलाफ चार साल तक बातचीत खींचने का अवसर दिया। इस दौरान, चीन ने रणनीतिक क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत की और भारत-चीन व्यापार में भी वृद्धि देखी गई।
आत्मनिर्भर भारत पर सवाल
कांग्रेस ने मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि चीन पर निर्भरता कम करने के बजाय बढ़ाई गई है। 2018-19 में चीन से 70 बिलियन डॉलर का आयात किया गया था, जो 2023-24 में बढ़कर 102 बिलियन डॉलर हो गया। इसके बावजूद मोदी सरकार का आत्मनिर्भर भारत अभियान सफल नहीं हो सका, जिससे सरकार की नीतियों पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।