उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सालार मसूद गाजी के नाम पर लगने वाले मेले पर रोक लगा दी है। प्रशासन ने इस मेले की अनुमति देने से साफ मना कर दिया है। संभल प्रशासन के इस फैसले को विहिप के विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक अजीत प्रताप सिंह ने समर्थन किया है। इसको लेकर उन्होंने कहा कि सालार मसूद गाजी एक आक्रांता था और उसके नाम पर मेला नहीं लगना चाहिए।
बता दें कि, बहराइच में यह मेला हर साल मई में आयोजित होता है। वहीं, अब यहां भी इस मेला को लेकर विरोध की आवाज उठने लगी है। इसको लेकर विहिप ने प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। ज्ञापन सौंपने के दौरान विधि प्रकोष्ठ के अन्य पदाधिकारी और सदस्य भी मौजूद थे।
सालार मसूद गाजी का क्या है इतिहास
आपको बता दें कि, सालार मसूद गाजी का जन्म 11वीं सदी में 1014 ईस्वी में अजमेर में हुआ था। वह महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था। अपनी सेना के साथ वह 1030-31 में अवध के इलाकों में आया और बहराइच-श्रावस्ती तक पहुंचा। उस समय इस क्षेत्र में राजा सुहेलदेव का शासन था। 1034 में बहराइच के पास चित्तौरा झील के किनारे राजा सुहेलदेव ने सालार मसूद गाजी से युद्ध किया और उसे मार डाला। इसके बाद उसे बहराइच के दरगाह शरीफ में दफनाया गया।
1250 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान नसीरुद्दीन महमूद ने सालार मसूद गाजी की मजार बनवाई। इसके बाद इस स्थल की मान्यता दरगाह के रूप में हो गई और हर साल मई में उर्स का आयोजन किया जाने लगा। इस मेले में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग शामिल होते हैं।
वहीं, बहराइच का जेठ मेला हर साल 15 मई से शुरू होता है और एक महीने तक चलता है। इस मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। परंपरा के अनुसार मजार शरीफ का मुख्य फाटक श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि जहां सालार मसूद गाजी को दफनाया गया, वह स्थान पहले बालार्क ऋषि का आश्रम था और वहीं सूर्यकुंड नामक एक कुंड भी था।
महाराजा सुहेलदेव का स्मारक
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बहराइच में महाराजा सुहेलदेव के सम्मान में एक बड़ा स्मारक बनवाया है, जिसमें उनकी मूर्ति भी स्थापित की गई है। इसके अलावा, बहराइच के मेडिकल कॉलेज का नाम भी महाराजा सुहेलदेव के नाम पर रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमेशा सालार मसूद गाजी को आक्रांता बताते हुए उनके अनुयायियों को एक स्पष्ट संदेश दिया है। चुनावी जनसभाओं में भी उन्होंने सालार मसूद गाजी के आक्रांता रूप पर कड़ी आलोचना की थी।