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जनेऊ नहीं उतारने पर छात्र को नहीं देने दी CET परीक्षा; कांग्रेस शासित कर्नाटक में महापाप के बाद प्रिंसिपल व अन्य स्टाफ सस्पेंड... सुदर्शन के संघर्ष को एक और यश

कर्नाटक में धार्मिक प्रतीक को लेकर विवाद, छात्र को परीक्षा से रोका गया

Rashmi Singh
  • Apr 20 2025 11:23AM

कर्नाटक के बीदर जिले में आयोजित CET परीक्षा के दौरान एक छात्र से जनेऊ उतारने को कहे जाने पर विवाद गहराता जा रहा है। यह मामला अब कानूनी कार्रवाई तक पहुंच गया है और कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इस खबर को सुदर्शन न्यूज़ प्रमुखता से दिखा रहा था, जिसका असर देखने को मिल रहा है। इस मामले में एक्शन लेते हुए साई कॉलेज के प्रिंसिपल व स्टाफ को सस्पेंड कर दिया गया है। यह घटना 17 अप्रैल 2025 की है।

सुचिव्रत कुलकर्णी नामक छात्र ने बताया कि गुरुवार (17 अप्रैल 2025)  को वह साईं स्फूर्ति पीयू कॉलेज में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) देने पहुंचा था। छात्र के अनुसार, परीक्षा केंद्र पर मौजूद स्टाफ ने उससे कहा कि वह पहले जनेऊ हटा दे, तभी परीक्षा देने दिया जाएगा। सुचिव्रत ने जब ऐसा करने से इनकार किया, तो उसे परीक्षा से बाहर कर दिया गया।

घटना के तूल पकड़ने के बाद, संबंधित कॉलेज प्रशासन के खिलाफ त्वरित कदम उठाए गए हैं। साईं स्फूर्ति पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. चंद्र शेखर बिरादर और स्टाफ सदस्य सतीश पवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

छात्र ने सुनाई आपबीती

छात्र ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वह परीक्षा केंद्र पर समय से पहले पहुंच गया था, लेकिन चेकिंग के दौरान उसे कहा गया कि या तो वह जनेऊ उतार दे या काट दे। छात्र ने यह कहकर मना कर दिया कि यह उसके धर्म से जुड़ा प्रतीक है और वह इसे नहीं हटा सकता। इसके बावजूद उसे परीक्षा देने नहीं दिया गया।

वहीं, बीदर की घटना के बाद शिवमोगा जिले से भी एक मिलती-जुलती खबर आई है, जहां तीन छात्रों को परीक्षा से पहले जनेऊ उतारने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले में कर्नाटक ब्राह्मण महासभा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और दो होमगार्ड्स को निलंबित किया गया है।

इस घटना के बाद बीजेपी ने कांग्रेस शासित सिद्धारमैया सरकार पर तीखा हमला बोला है। विपक्ष के नेता आर अशोक ने आरोप लगाया कि सरकार हिजाब पहनने वालों को तो छूट देती है, लेकिन जनेऊ जैसे हिन्दू धार्मिक प्रतीकों को लेकर दोहरी नीति अपना रही है। बीजेपी ने इसे हिंदू समाज का अपमान बताया है।

इस विवाद के चलते ब्राह्मण समाज समेत कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन समूहों का कहना है कि धार्मिक प्रतीकों को लेकर पक्षपात नहीं होना चाहिए और सभी को समान अधिकार दिया जाना चाहिए।

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