उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हिंदू आस्था का खुले आम अपमान देखने को मिला, जहां नगरपालिका प्रशासन ने इस्लामिक कट्टरपंथियों के स्वागत में चूना या किसी अन्य सामग्री का प्रयोग करने के बजाय हिंदू धर्म में पूजनीय माने जाने वाले गेरू का उपयोग किया। ये घटना ईदगाह के बाहर हुई, जहां नमाज पढ़ने आने वाले लोगों के स्वागत के लिए सड़क पर गेरू डाला गया। ये मामला सोमवार (31 मार्च 2025) का है।
ये घाटना शेरकोट नगर पालिका की है। बता दें कि गेरू को सनातन परंपरा में शुद्धि, पवित्रता और धार्मिक अनुष्ठानों का प्रतीक माना जाता है। मंदिरों में दीवारों और आंगनों को गेरू से लीपा जाता है, और इसे धार्मिक कार्यों के दौरान पवित्र भूमि का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में इस्लामिक कट्टरपंथी के स्वागत में गेरू के उपयोग को हिंदू भावनाओं पर सीधा प्रहार माना जा रहा है।
शेरकोट नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने भी स्वीकार किया। जिसमें गेरू का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि अज्ञानता में यह कदम उठाया गया, लेकिन सवाल ये है कि क्या हिंदू आस्था को अपमानित करने वाला यह कदम मात्र "अज्ञानता" था या इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश थी? जब स्वागत के लिए चूना, फूलों या अन्य सामग्री का इस्तेमाल किया जा सकता था, तो गेरू को चुनना क्या संयोग मात्र था, या जानबूझकर किया गया अपमान?
बता दें कि घटना के बाद स्थानीय हिंदू संगठनों में भारी आक्रोश है। उन्होंने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताते हुए नगरपालिका और प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सुदर्शन न्यूज इस सवाल को उठा रहा है कि क्या हिंदुओं की उदारता का फायदा उठाकर बार-बार उनकी आस्था पर प्रहार करना अब एक नई रणनीति बन गई है?