2025 में जया एकादशी 7 फरवरी को मनाई जाएगी। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु के आराधना का दिन है। एकादशी का व्रत हर महीने में दो बार आता है, लेकिन जया एकादशी का महत्व अधिक है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। जया एकादशी का व्रत विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक शुद्धता के लिए किया जाता है। तो जानिए जया एकादशी पर कैसे करें पूजा और सही तिथि, महत्व।
पूजा विधि
जया एकादशी के दिन व्रति प्रातः समय में स्नान करके स्वच्छ हो जाते हैं और भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। पूजा में विशेष रूप से श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाता है। पूजा में दीप, फूल, फल, और पंचामृत का प्रयोग किया जाता है।
सबसे पहले घर के पूजा स्थान को साफ करें।
फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और स्नान कराकर उन्हें शुद्ध वस्त्र पहनाएं।
उनके समक्ष दीपक जलाएं और फूल अर्पित करें।
श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें या ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
दिनभर उपवासी रहें और रात को जागरण करें, श्री विष्णु के भजन गाएं या ध्यान करें।
पूजा के बाद व्रति गरीबों को भोजन या दान देकर पुण्य अर्जित करते हैं।
जया एकादशी का महत्व
जया एकादशी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना से भक्तों को समस्त सुख, वैभव, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन व्रति दिनभर उपवासी रहते हैं और रात में जागरण करते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो जीवन में आध्यात्मिक उन्नति की तलाश में हैं। जया एकादशी का व्रत पापों को समाप्त करता है और पुण्य की वृद्धि करता है।