झारखंड के रांची में ईसाई धर्मांतरण का मामला सामने आया है। यहां एक हिंदू युवक को बिमारी ठीक करने का लालच देकर ईसाई बनने का दबाव दिया गया। घटना 15 मार्च 2025 (शनिवार) की है। इस गैरकानूनी करतूत का ग्रामिणों ने विरोध किया और धर्मांतरण कराने वालों को गांव से खदेड़ दिया।
सूरज मलहार पर बनाया धर्म परिवर्तन का दबाव
यह मामला रांची के अनगड़ा थाना क्षेत्र में पड़ने वाली कॉलोनी बैजनाथ टाटा का है। यहां सूरज नाम का युवक मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालता था। पिछले कुछ दिनों वह बीमार चल रहा था। उसने कई जगह अपना इलाज कराया। इसी दौरान उसे किसी ने ईसाई पादरी के बारे में बताया, जिसका नाम डेविड लकड़ा था। सूरज उनकी कही सुनी बातों में आ गया और पास्टर के पास इलाज की उम्मीद लेकर पहुंच गया।
जब सूरज पास्टर के पास पहुंचा तो, उसे इलाज की बजाय ईसाई बन जाने के लिए कहा गया। पादरी डेविड यह भी कहा कि ईसाई बनते ही उसकी सारी बीमारी दूर हो जाएगी। बात न बनती देख डेविड को पैसे का भी लालच दिया। यह बताना भी जरुरी है कि पिछले महीने इसी पादरी ने सूरज के भाई रंथू मलहार को भी ईसाई बना दिया था।
ग्रामीणों का विरोध
गांव वालों को इस घटना का पता चला तो उन्होंने पादरी का विरोध किया। इसी के साथ ही उन्होंने सूरज को भी चेतावनी दी। उससे कहा गया कि अगर वो ईसाई बना तो उसे गांव से बाहर कर दिया। इस घटना को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी कई लोग ईसाई मत अपना चुके हैं। इस क्षेत्र में सरजू करमाली और उनकी बेटी नमिता करमाली पहले ही इस्लाम मजहब अपना चुकी हैं और शनिवार को भी वे धर्म परिवर्तन के लिए सूरज के घर पहुंचे थे।
इस घटना के बाद ग्रामीणों ने सूरज को भी चेतावनी दी कि यदि उसने ईसाई अपनाया, तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा। इसके साथ ही, यह भी बताया गया कि दो साल पहले इस इलाके में करमाली और महली समुदाय के कई परिवारों ने ईसाई अपनाया था। हालांकि ग्रामीणों के विरोध के बाद धर्म परिवर्तन की घटनाएं काफी हद तक रुक गई थीं।
हालांकि, फिर से ऐसी गतिविधियों के बढ़ने से गांव में असंतोष की स्थिति पैदा हो गई है। इस मामले को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के धर्म परिवर्तन की कोशिशों से गांव में असहमति और नाराजगी बढ़ रही है। उन्हें डर है कि यदि यह स्थिति ऐसे ही बनी रही, तो गांव की सामाजिक एकता को खतरा हो सकता है।