उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में जांच के दौरान 219 मदरसों के कागजी अस्तित्व का खुलासा हुआ है। इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा की गई, और इसकी रिपोर्ट में यह सामने आया कि ये मदरसे सिर्फ कागजों पर चल रहे थे और इनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं था। जांच के बाद, जिले के 22 थानों में कुल 219 मदरसा संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य कई गंभीर आरोपों में मामले दर्ज किए गए हैं।
जांच का प्रारंभ और SIT का गठन
EOW की जांच में जब मदरसा पोर्टल पर ऑनलाइन जानकारी में गड़बड़ी देखी गई, तो इस मामले की गंभीरता को समझते हुए 313 मदरसों की जांच शुरू की गई। यह मामला 2017 में सरकार के पास पहुंचा था, जिसके बाद SIT (Special Investigation Team) का गठन किया गया। SIT ने जांच के दौरान पाया कि 219 मदरसे पूरी तरह से फर्जी थे, जिनका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं था और वे केवल कागजों पर ही चलाए जा रहे थे।
सरकारी धन का गबन
SP हेमराज मीणा ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि EOW ने इस मामले में गहन जांच की और पाया कि मदरसा संचालकों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी धन प्राप्त किया था। यह धन सरकारी योजनाओं के तहत मदरसों को दी जाने वाली सहायता थी, जिसे इन संचालकों ने धोखाधड़ी के माध्यम से हासिल किया। SP मीणा ने यह भी कहा कि जिन मदरसा संचालकों ने जाली दस्तावेजों के माध्यम से सरकारी धन प्राप्त किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
EOW के इंस्पेक्टर कुंवर ब्रह्म प्रकाश सिंह की शिकायत पर पहला केस 6 फरवरी को कंधरापुर थाने में दर्ज किया गया था। इसके बाद, शहर कोतवाली, सिधारी, रानी की सराय, मुबारकपुर और निजामाबाद समेत कुल 22 थानों में मदरसा संचालकों के खिलाफ विभिन्न आरोपों में मामले दर्ज किए गए। पुलिस ने बताया कि जांच अभी भी जारी है, और जो भी नए तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि जिन लोगों ने सरकारी धन को गलत तरीके से लिया है, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।