माघ माह की गुप्त नवरात्रि 2025 की अष्टमी आज (5 फरवरी 2025) को मनाई जा रही है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है, और गुप्त नवरात्रि उन विशेष अवसरों में से एक है जब देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि का आयोजन मुख्य रूप से साधक और श्रद्धालु अपनी साधना और विशेष तपस्या के लिए करते हैं। इस दौरान विशेष पूजा और व्रत करके मां दुर्गा की आराधना की जाती है ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति हो सके। तो जानिए पूजा विधि और महत्त्व।
पूजा विधि
माघ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी के दिन पूजा विधि कुछ विशेष होती है। इस दिन का व्रत पूर्ण करने के लिए श्रद्धालुओं को प्रात:काल उबटन और स्नान कर, स्वच्छ व्रति वस्त्र पहनने चाहिए। फिर घर के पूजा स्थल को शुद्ध करके देवी दुर्गा की पूजा करें। पूजा में देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान करते हुए, उन्हें लाल फूल, मौली, सिंदूर, नारियल और मिठाई अर्पित करें। विशेष रूप से इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ या देवी महात्म्य का पाठ करना लाभकारी माना जाता है।
इसके अलावा, अगर साधक अपनी इच्छाओं की सिद्धि के लिए पूजा कर रहे हैं, तो उन्हें संतान सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए मां दुर्गा से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन का व्रत पूर्ण करने के बाद कन्या पूजन का आयोजन भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसमें छोटी कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें उपहार प्रदान करना चाहिए।
माघ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी का महत्त्व
गुप्त नवरात्रि की अष्टमी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन विशेष रूप से देवी दुर्गा के सिद्धि रूप की पूजा की जाती है। यह दिन सिद्धि प्राप्ति और विशेष आशीर्वाद पाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। अष्टमी का दिन एक प्रकार से शारदीय नवरात्रि के अष्टमी के समान ही होता है, जहां साधक और भक्त विशेष रूप से कल्याणकारी ऊर्जा का आह्वान करते हैं। यह दिन शक्ति, समृद्धि और विजयी जीवन के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। अष्टमी तिथि को कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है, जिसमें छोटे कन्याओं को भोजन और उपहार देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।