रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने 12 फरवरी, 2025 को बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2025 में भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित एक सेमिनार के दौरान कहा, “भारत हिंद महासागर में भू-रणनीतिक स्थिति के कारण रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है, जिसके लिए इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सुरक्षा के लिए स्वदेशी क्षमता आवश्यक है।” रक्षा राज्य मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारतीय नौसेना विमानन में परिवर्तन – 2047 और इसके संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र’ विषय पर एक विज़न दस्तावेज़, ‘भारतीय नौसेना विमानन – तकनीकी रोडमैप 2047’ का अनावरण किया, जिसमें नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी मौजूद थे।
संजय सेठ ने कहा कि हाल के विश्व संघर्षों ने यह सिद्ध कर दिया है कि एक विश्वसनीय रक्षा बल, जिसे एक मजबूत औद्योगिक आधार समर्थन करता है, एक मजबूत और जीवंत राष्ट्र की कुंजी है। उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से आग्रह किया कि वे जटिल समस्याओं के समाधान के लिए नवोन्मेषी, स्वदेशी और दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने के प्रयासों में दृढ़ और संकल्पित रहें। उन्होंने भारतीय नौसेना के 2047 तक ‘आत्मनिर्भर’, चुस्त, उत्तरदायी और भविष्य के लिए तैयार बल बनने की दिशा में तकनीकी रोडमैप तैयार करने के प्रयासों की सराहना की।
रक्षा राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि जो तकनीकी रोडमैप प्रस्तुत किया जा रहा है, वह केवल एक पुस्तक नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा उल्लिखित ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक विश्वसनीय दस्तावेज है। यह दस्तावेज स्वदेशी रक्षा अनुसंधान एवं विकास, डीपीएसयू, उद्योग भागीदारों, एमएसएमई, स्टार्टअप और शैक्षिक संस्थानों सहित विभिन्न पक्षों के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने प्रणाली के डिजाइन, विकास और तैनाती में समय सीमा को घटाने की आवश्यकता पर बल दिया।
भारतीय नौसेना की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए संजय सेठ ने कहा कि पिछले दशक में भारत को एक प्रभावशाली आर्थिक शक्ति के रूप में उभरते देखा गया है, और भारतीय नौसेना अब दुनिया की शीर्ष उन्नत नौसेनाओं में से एक है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय नौसेना, जो विभिन्न भारतीय शिपयार्डों में 60 से अधिक युद्धपोतों का निर्माण कर रही है और पिछले कुछ वर्षों में 39 से अधिक स्वदेशी पोतों और पनडुब्बियों को कमीशन कर चुकी है, ‘आत्मनिर्भरता’ का सही प्रतिनिधि है। उन्होंने भारतीय नौसेना से उनके राष्ट्र प्रथम दृष्टिकोण की सराहना की और आत्मनिर्भरता की दिशा में उनके समर्पण और निरंतर प्रयासों की सराहना की।
अपने संबोधन में एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि युद्ध की प्रकृति, विशेषकर हवाई क्षेत्र में, निरंतर बदल रही है, जिसके लिए लगातार प्रयास और विमानन क्षेत्र में विशिष्ट तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि एरो इंडिया को ‘बillion opportunities’ के रूप में उपयुक्त रूप से परिभाषित किया गया है क्योंकि यह सभी संबंधित पक्षों, अनुसंधान एवं विकास संस्थाओं, उद्योग, एमएसएमई, स्टार्टअप और शैक्षिक संस्थानों को विचारों का आदान-प्रदान करने, उन्नत प्रणालियों, प्रौद्योगिकियों और उपकरणों का परीक्षण करने, मूल्यांकन करने और पहले अनुभव प्राप्त करने का एक सामान्य मंच प्रदान करता है।
नौसेना प्रमुख ने यह भी बल दिया कि भारतीय नौसेना का विमानन पारंपरिक खुफिया निगरानी और सर्वेक्षण (ISR) भूमिकाओं से प्रौद्योगिकी-प्रधान कार्यों जैसे संचार रिले, जैमिंग प्लेटफार्मों, वैज्ञानिक अनुसंधान और SAR कार्यों की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, एयरबॉर्न सिस्टम, एवियोनिक्स और हथियारों के उपकरणों का भविष्यवक्ता डिजाइन और विकास भारतीय नौसेना के ‘आत्मनिर्भरता मिशन’ और 2047 तक 100% आत्मनिर्भरता की ओर उनके निरंतर प्रयासों और दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं।
‘आत्मनिर्भर भारतीय नौसेना विमानन - 2047’ सेमिनार ने उन प्राथमिकताओं और उद्देश्यों को उजागर किया जो अगले दो दशकों में नौसेना विमानन की वृद्धि को मार्गदर्शन करेंगे, नवाचार को खोलते हुए, स्वदेशी विमानन प्रौद्योगिकी क्रांति में एक उत्प्रेरक के रूप में क्षमता विकास को सक्षम करने के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाएंगे।