हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक निजी स्कूल ने बच्चों से ईद के अवसर पर खास तरह के कपड़े पहनने के लिए आदेश दिया गया। जिसको लेकर शहर के लोगों में आक्रोश का माहौल है। दरअसल, स्कूल ने ईद के मौके पर बच्चों से कुर्ता पायजामा और टोपी पहनकर स्कूल आने को कहा है। इसके साथ ही, बच्चों को अपने टिफिन में सवइयां लाने का भी निर्देश दिया गया है।
बताते चले कि ईद 31 मार्च 2025 को है और बच्चों को ये सब लाने का आदेश 28 मार्च 2025 को दिया गया है। वहीं, इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर हिंदू नेताओं द्वारा स्कूल के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया गया है। देवभूमि संघर्ष समिति ने इस आदेश का विरोध करते हुए इसे संविधान की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया है। समिति के संयोजक, भारत भूषण ने चेतावनी दी है कि अगर स्कूल ने आदेश वापस नहीं लिया, तो वे स्कूल का घेराव करेंगे और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
भारत भूषण ने कहा कि यह आदेश संविधान की धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल का यह आदेश हिमाचल प्रदेश में इस्लाम को बढ़ावा देने की साजिश है, जो पूरी तरह से दुर्भाग्यपूर्ण है। उनके अनुसार, यह कदम राज्य की धार्मिक विविधता और सहिष्णुता के खिलाफ है।
जैसे ही स्कूल का यह फरमान सामने आया, सोमवार सुबह से ही विभिन्न संगठनों ने स्कूल के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इन संगठनों ने स्कूल के फैसले को लेकर कड़ा विरोध जताया।
शिक्षा मंत्री ने लिया संज्ञान
हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री, रोहित ठाकुर ने मीडिया के माध्यम से इस मामले को अपने ध्यान में लिया और बताया कि सरकार इस मामले में संज्ञान लेगी। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन से तथ्यों की जानकारी ली जाएगी और उनसे जवाब तलब किया जाएगा।
स्कूल ने लिया आदेश वापस
सोशल मीडिया पर बढ़ते विवाद और विरोध को देखते हुए, स्कूल ने अपने फरमान को वापस ले लिया है। हालांकि, इस मामले में अभी तक स्कूल की तरफ से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन स्कूल के फैसले को वापस लेना इस विवाद को शांत करने की कोशिश मानी जा रही है।