पहलगाम में निर्दोषों के नरसंहार की तपती राख अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि आतंक ने एक और वार किया है। जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के डूडू-बसंतगढ़ के घने जंगलों में गुरुवार (24 अप्रैल) सुबह सुरक्षाबलों और घात लगाए बैठे आतंकियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ छिड़ गई।
लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने ताज़ा हालात पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि इलाके में भारी गोलीबारी जारी है और ऑपरेशन पूरे ज़ोरों पर है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, इस देशभक्त संघर्ष में एक बहादुर जवान वीरगति को प्राप्त हुए हैं।
फिलहाल प्राप्त जानकारी की मानें तो मुठभेड़ में शामिल ये आतंकी वही हो सकते हैं जो हाल ही में पाकिस्तान से सीमा पार कर भारत में दाखिल हुए थे। इनकी हलचल पहली बार 23 मार्च को डोलका के जंगलों में एक सतर्क ग्रामीण जोड़े ने नोटिस की थी, जिसके बाद 27 मार्च को कठुआ के जाखोले क्षेत्र में दो आतंकियों को ढेर किया गया।
11-12 अप्रैल को भी किश्तवाड़ के चत्रू इलाके में सेना ने अपनी रणनीतिक योजना के तहत जैश-ए-मोहम्मद के तीन खूंखार आतंकियों को मौत की नींद सुला दिया था। यह मुठभेड़ उस बड़ी लड़ाई की एक और कड़ी मानी जा रही है, जहां भारत की सेना हर साजिश का मुंहतोड़ जवाब देने में लगी है।
हर हमले के बाद देश रोता है, जवानों के ताबूत उठते हैं और परिवार बिखर जाते हैं। अब वक्त है कि सवाल सिर्फ हमलों का नहीं, बल्कि उस नीति का हो जिसने सीमाओं के आर-पार की हिंसा को निरंतरता दी है। क्या अब भी इंतज़ार करेंगे कि अगला हमला किस शहर पर हो?