हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी ने मंथन शुरू कर दिया है । दिल्ली विधानसभा के इस चुनाव में पार्टी सिर्फ 22 सीट ही हासिल कर पाई और सत्ता के रेस से बाहर हो गई। इस हार के मुख्य कारणों में से एक दलित वोट का आम आदमी पार्टी से छिटकना है
आम आदमी पार्टी ने अपना जनाधार वापस पाने के लिए मंथन शुरू कर दिया है। इसके तहत पार्टी एक नई रणनीति लेकर आई है। यह रणनीति पार्टी के लिए पिछले चुनावी जीत में महत्वपूर्ण साबित हुई है। दरअसल, दिल्ली की चार अनुसूचित जाति आरक्षित विधानसभा सीटों समेत जहां-जहां दलितों की अच्छी खासी आबादी है।
वहां आम आदमी पार्टी को या तो हार का सामना करना पड़ा या फिर वोट प्रतिशत बहुत तेजी से घटा है। दिल्ली में दलित वोट चुनावों में निर्णायक माना जाता है। इसलिए अब आम आदमी पार्टी दलितों के बीच फिर से अपनी पकड़ मजबूत बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसी योजना के तहत आम आदमी पार्टी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उन्हें समर्पित एक भव्य कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। दरअसल, आम आदमी पार्टी ने 2020 में दिल्ली में एससी आरक्षित सभी 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि इस बार यानी दिल्ली चुनाव 2025 में इनमें से चार सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। ये सीटें भाजपा ने झटक लीं। इसके साथ ही दिल्ली में इस बार जिन सीटों पर दलितों की अच्छी खासी आबादी है।
उनमें से ज्यादातर सीटों पर आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत भी प्रभावित हुआ है। इसी को लेकर पार्टी एक वैचारिक आउटरीच अभियान शुरू करने की योजना बना रही है। जो डॉ. बीआर अंबेडकर और शहीद भगत सिंह जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों की विरासत पर केंद्रित होगा।
आम आदमी पार्टी के राज्य संयोजक ने किया ऐलान
आम आदमी पार्टी के दिल्ली राज्य संयोजक गोपाल राय ने सोमवार को पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद अभियान की घोषणा की। गोपाल राय ने कहा “आप कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को वैचारिक रूप से खुद को मजबूत करना चाहिए और ये कार्यक्रम इसे हासिल करने में मदद करेंगे।