बाबा बंदा सिंह बहादुर जी की 355वीं जयंती के उपलक्ष्य में, उनकी प्रतिमा का अनावरण मेजर जनरल गौरव ऋषि, शौर्य चक्र, सेना मेडल, जीओसी 25 इन्फैंट्री डिवीजन द्वारा 27 अक्टूबर 2024 को एनएच-144ए के किनारे राष्ट्रीय ध्वज स्थल, नारियान में किया गया। इस शुभ अवसर पर वरिष्ठ सेना अधिकारी, भूतपूर्व सैनिक और नारियान के आस-पास के ग्रामीण भी मौजूद थे।
बाबा बंदा सिंह बहादुर का इतिहास
बाबा बंदा सिंह बहादुर एक महान योद्धा थे। उनका जन्म 27 अक्टूबर 1670 को राजौरी क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर) के रामदेव के एक किसान परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम लक्ष्मण देव मन्हास था, जो बाद में माधव दास हो गया। उन्होंने पंद्रह वर्ष की आयु में तपस्वी बनने के लिए घर छोड़ दिया और वे माधव दास बैरागी के नाम से जाने गए। गुरु गोविंद सिंह जी ने 1708 में महाराष्ट्र के नांदेड़ में पहली बार बंदा सिंह बहादुर से मुलाकात की। गुरु गोविंद सिंह जी से प्रभावित होकर उन्होंने खुद को गुरु का बंदा कहा और गुरु गोविंद सिंह जी ने उनका नाम बंदा सिंह रख दिया। बंदा सिंह ने मुगलों के अजेय होने के मिथक को तोड़ा और साहिबजादों की शहादत का बदला लिया।
इन्फैंट्री दिवस के दिन ही होती है बंदा सिंह की जंयती
संयोग से, बाबा बंदा सिंह बहादुर की जयंती 27 अक्टूबर को भारतीय सेना द्वारा मनाए जाने वाले इन्फैंट्री दिवस के साथ मेल खाती है। उद्घाटन के बाद, इस स्थान को 'बाबा बंदा सिंह बहादुर मोड़' के नाम से जाना जाएगा। एक महान योद्धा होने के नाते, बाबा बंदा सिंह बहादुर राजौरी के लोगों को प्रेरित करते रहेंगे और राजमार्ग पर चलने वाले नागरिकों और स्थानीय लोगों में गर्व की भावना पैदा करेंगे।