इनपुट-अंशुमान दुबे, लखनऊ
राजधानी लखनऊ की हर गली मोहल्ला कॉलोनी में अवैध निर्माण को संरक्षण देने में लखनऊ विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही बेहद सीमित और सुस्त होने का नतीजा है कि दबंग बिल्डरों और भू माफियाओं को किसी भी डर नहीं है और वो खुलेआम इन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों की जेबें गर्म कर खुलेआम लगातार आवासीय भूखंडों का दुरुपयोग कर वहां गहरा खनन भी कर रहे हैं और अवैध रूप से बड़े बड़े व्यवसायिक निर्माणों से आवासीय रिहायशी क्षेत्रों में अराजकता पैदा कर रहे हैं ।
अभी हाल में ही माननीय उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जे बी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने अवैध निर्माणों को उनके पुराने हो जाने के बाद भी कार्यवाही किए जाने योग्य माना और कहा है कि अवैध रूप से बने कोई भी निर्माण पर कार्यवाही होगी और कोई भी जिम्मेदार विभाग इसे लेकर अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता । उन्होंने ये भी कहा है कि अवैध निर्माणों को न तो बिजली दी जाए न पानी या अन्य कोई सुविधा और यदि ऐसा कुछ भी होता है तो जिम्मेदार विभाग और अधिकारी इसके लिए उतने ही दोषी होंगे जितने कि अवैध निर्माण करने वाले दबंग बिल्डर और भूमाफिया ।
ताजा मामला है लखनऊ विकास प्राधिकरण के जोन दो के सेक्टर जे आशियाना के आवासीय भूखंडों 1 और 2 पर बने व्यवसायिक प्रतिष्ठान शो रूम का और सेक्टर एम के आवासीय भूखंड 3 और 6 पर बने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स दुकानों और होटल का और दूसरा मामला है जोन 3 के सिंगार नगर में आवासीय भूखंडों पर बने और बन रहे विशाल व्यवसायिक अपार्टमेंट्स का जिसकी शिकायत विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं और स्थानीय नागरिकों द्वारा विगत दो वर्षों से की जा रही है लेकिन इसको लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण के स्थानीय अभियंताओं और जोनल प्रभारियों की कार्यवाही बड़ी चुनिंदा और पक्षपात पूर्ण है ।
अभी हाल में ही अनेक अवैध निर्माण पर कार्यवाही हुई भी है लेकिन वो ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही साबित हो रही है । राजधानी लखनऊ में अवैध निर्माणों को लेकर लगातार विरोध कर रहे जन जागरण कर रहे 'राम रोटी परिवार' से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये विभाग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है और इसके बाद भी वर्षों बीत रहे हैं अवैध निर्माण पर कार्यवाही नहीं कर रहा है लखनऊ विकास प्राधिकरण और ये सभी अवैध निर्माण या तो व्यवसायिक रूप से शुरू हो चुके हैं अथवा होने वाले हैं । ऐसे में लगता है कि मुख्यमंत्री या तो अपने मातहत आने वाले इस विभाग की न तो कोई समीक्षा ही कर रहे हैं या फिर उनके मातहत काम करने वाले प्रमुख सचिव या अधिकारी उनके किसी आदेश का निर्देश का पालन ही कर रहे है ।
वर्तमान हालात ये हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाक के नीचे उन्हीं के विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने भूमाफियाओं और दबंग बिल्डरों से मिलकर पूरी राजधानी को अवैध निर्माणों की अराजकता में झोंक कर यहां के आवासीय और व्यवसायिक व्यवस्था को तबाह कर दिया है बल्कि उच्चतम न्यायालय की अवमानना कर उसके आदेशों और निर्देशों को भी कूड़े के ढेर में फेंक दिया है ।