केंद्र सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना का ऐलान किया. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्री मंडल ने बुधवार को इस योजना को मंजूरी दी. एक लाख करोड़ की इस योजना से देश के हर ब्लॉक में गोदाम बनाए जाएँगे. बड़ी बात यह है कि इन गोदामों में अनाज रख किसान कर्ज ले सकेंगे.
बता दें कि अब तक देश में कुल 1 ,450 लाख टन भंडारण की क्षमता है, लेकिन किसानों का अनाज खराब होने से बचाने व उन्हें उचित मूल्य दिलाने के लिए शुरू की गई इस योजना के बाद 700 लाख टन भंडारण की क्षमता सहकारिता क्षेत्र में शुरू होगी.
इसके बाद भंडारण क्षमता 2,150 लाख टन हो जाएगी. इससे देश में खाघान्न भंडारण को बढ़ाने के साथ ही अनाज के आयात में कमी आएगी. एक लाख करोड़ रुपए की इस योजना के तहत हर ब्लॉक में 2,000 टन क्षमता वाले गोदाम बनाए जाएँगे.
इन गोदामों के बन जाने से भंडारण की कमी के चलते बर्बाद होने वाले लाखों टन अनाज को बचाया जा सकेगा. किसानों को उनकी फसल का अच्छा मूल्य मिल सकेगा. किसान इन गोदाम में अपनी फसल रखकर उसे अच्छे दाम पर बेच सकेंगे. यही नहीं, इन गोदामों में किसान अपनी फसल रखकर उसके मूल्य का 70 फीसदी कर्ज भी हासिल कर सकेंगे.
मालूम हो कि भारत विश्व में अनाज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी बड़े उत्पादक देशों चीन, अमेरिका, ब्राजील, रूस, अर्जेंटिना आदि के पास अपने कुल उत्पादन से अधिक की भंडारण क्षमता है. लेकिन भारत में अन्न के भंडारण की क्षमता वार्षिक उत्पादन की अपेक्षा महज 47 प्रतिशत ही है. इस कारण देश में अनाज की बर्बादी होती है. मगर इस योजना के लागू होने के बाद अब ऐसा नहीं होगा.
इस योजना के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार के इस कदम का उद्देश्य भंडारण सुविधाओं की कमी से अनाज को होने वाले नुकसान से बचाना, किसानों को संकट के समय अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचने से रोकना, आयात पर निर्भरता कम करना और गाँवों में रोजगार के अवसर सृजित करना है.
उन्होंने आगे कहा कि अधिक भंडारण क्षमता से किसानों के लिए परिवहन लागत में भी कमी आएगी और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी. साथ ही खरीद केंद्रों तक अनाज की ढुलाई और फिर गोदामों से राशन की दुकानों तक स्टॉक ले जाने में जो लागत आती है, उसमें भी भारी कमी आएगी. इस योजना को सहकारिता मंत्रालय विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के कम से कम 10 चयनित जिलों में पायलट प्रोजेक्ट की तरह लॉन्च करेगा.