अब 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने से पहले अपने माता-पिता से सहमति प्राप्त करनी होगी। यह बदलाव डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023 के मसौदा नियमों में किया गया है, जिसे केंद्र सरकार ने हाल ही में जारी किया।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इस बारे में एक अधिसूचना जारी की है और जनता से इन नियमों पर अपने सुझाव और आपत्तियां देने के लिए आमंत्रित किया है। यह फीडबैक नागरिक सहभागिता मंच, MyGov.in पर दिया जा सकता है।
कानूनी संरक्षिका के तहत बच्चों और दिव्यांगों के डेटा की सुरक्षा
मसौदा नियमों के अनुसार, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। नियमों के तहत, डेटा फिड्यूशरीज़ (वह संस्थाएं जो डेटा को संभालने का जिम्मा लेती हैं) को नाबालिगों का डेटा प्रोसेस करने से पहले उनके माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य होगा। सहमति की पुष्टि के लिए सरकारी पहचान पत्र या डिजिटल पहचान टोकन (जैसे डिजिटल लॉकर से जुड़े टोकन) का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, शैक्षिक संस्थाओं और बाल कल्याण संगठनों को इन नियमों से कुछ छूट दी गई है।
उपभोक्ताओं के अधिकारों को सशक्त बनाना
मसौदा नियमों में उपभोक्ताओं के अधिकारों को भी मज़बूती दी गई है। उपयोगकर्ताओं को यह अधिकार मिलेगा कि वे अपनी व्यक्तिगत जानकारी को हटाने की मांग कर सकते हैं। साथ ही, वे यह जानने का अधिकार भी रखेंगे कि कंपनियां उनका डेटा क्यों और कैसे इकट्ठा कर रही हैं। यदि डेटा उल्लंघन होता है, तो 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, जो डेटा फिड्यूशरीज़ की जिम्मेदारी को और भी स्पष्ट करेगा। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को अपनी डेटा संग्रह प्रक्रिया पर सवाल उठाने और डेटा उपयोग के बारे में स्पष्टीकरण प्राप्त करने का भी अधिकार होगा।