प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आतंकवाद पर की गई कड़ी फटकार के बाद पाकिस्तान की सरकार ने विरोध जताते हुए बयान दिया है। पाक विदेश मंत्रालय ने भारत और अमेरिका के संयुक्त बयान को एकतरफा, भ्रामक और राजनयिक मानदंडों के खिलाफ बताया। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि उसके आतंकवाद विरोधी प्रयासों और बलिदानों को नजरअंदाज किया गया है।
पाकिस्तान का बेबुनियाद आरोप
पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफाकत अली खान ने 14 फरवरी को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारत और अमेरिका के संयुक्त बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह बयान पाकिस्तान के प्रयासों को नकारता है और उल्टे भारत पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया। शफाकत अली ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के बयानों से कोई फायदा नहीं होने वाला है, क्योंकि भारत का आतंकवाद को समर्थन छिपाया नहीं जा सकता।
कश्मीर पर पाकिस्तान का तर्क
पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि कश्मीर में जारी तनाव और अस्थिरता को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का भारत ने पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संयुक्त बयान में कोई उल्लेख नहीं किया गया, जो पाकिस्तान के लिए निराशाजनक है। शफाकत अली ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और प्रयासों को सम्मान मिला है।
भारत और अमेरिका का संयुक्त बयान
14 फरवरी, 2025 को भारतीय समय के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक में आतंकवाद पर गहरी चर्चा हुई। इस बैठक में दोनों नेताओं ने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया और कहा कि पाकिस्तान को 26/11 मुंबई हमले और पठानकोट हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना चाहिए।
इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ है- ट्रंप
बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस साल की शुरुआत से ही अमेरिका ने भारत के साथ अपनी सैन्य खरीद को बढ़ा दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका और भारत कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करते रहेंगे, ताकि विश्व को इस खतरे से सुरक्षित किया जा सके।