रुक्मिणी अष्टमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, विशेष रूप से महाराष्ट्र, उत्तर भारत और दक्षिण भारत के क्षेत्रों में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रुक्मिणी देवी की पूजा की जाती है, जो भगवान श्री कृष्ण की परम भक्ति और प्यार को दर्शाती हैं। तो जानिए तिथि से लेकर पूजा विधि तक की पूरी जानकारी।
कब है रुक्मिणी अष्टमी?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 23 दिसंबर की शाम 5 बजकर 7 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी 23 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।
रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि
रुक्मिणी अष्टमी पर पूजा का खास महत्व है, और इसे श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए। यहां हम रुक्मिणी अष्टमी की पूजा विधि के कुछ मुख्य चरणों की जानकारी दे रहे हैं।
स्नान और शुद्धि: पूजा से पहले घर के सभी सदस्य स्नान कर स्वच्छ हो जाते हैं। इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल को शुद्ध किया जाता है।
व्रत और उपवासा: इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं और उपवास रखती हैं, ताकि रुक्मिणी देवी से आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। वे दिनभर सिर्फ फल और पानी का सेवन करती हैं।
रुक्मिणी देवी की पूजा: पूजा की शुरुआत रुक्मिणी देवी की मूर्ति या चित्र की सफाई से होती है। फिर उन्हें रंगीन फूल, बेलपत्र, दूध, दही, घी, और शक्कर से अभिषेक किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से रुक्मिणी देवी को पीले रंग के फूल पसंद होते हैं, इसलिए इन्हें अर्पित करना चाहिए।
धूप-दीप और नैवेद्य: पूजा में धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। भक्त भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणी देवी का ध्यान करते हुए 108 बार 'ॐ रुक्मिणी नमः' मंत्र का जप करते हैं।
कथा सुनना: रुक्मिणी अष्टमी के दिन रुक्मिणी देवी के विवाह की कथा सुनने का भी विशेष महत्व है। यह कथा भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणी के प्रेम को दर्शाती है।
दान और श्राद्ध: पूजा के बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दान-पुण्य किया जाता है। यह मान्यता है कि इस दिन दान से पुण्य की प्राप्ति होती है।
रुक्मिणी अष्टमी का महत्व
रुक्मिणी अष्टमी का पर्व भक्तों को यह संदेश देता है कि सच्ची भक्ति और प्रेम में कोई भेदभाव नहीं होता। रुक्मिणी का विवाह श्री कृष्ण से हुआ था, जो एक दिव्य और अद्वितीय प्रेम कथा है। इस दिन रुक्मिणी देवी की पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।