सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को आर्थिक सहयोग करे

Donation

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित ऑनलाइन संस्कृत सम्भाषण कक्षा में गीतासप्ताह के अन्तर्गत गीता आधारित प्रेरणा सत्र का आयोजन किया गया,

*भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा – शोभन लाल उकिल* *विश्व में श्रेष्ठ जो भी है वो सब संस्कृत में निहित* *संस्कृत के बिना भारत की उन्नति सम्भव नहीं* *शास्त्र के अध्ययन के लिए संस्कृत अनिवार्य* *लखनऊ। 16 दिसंबर*

अभिमन्यु सिंह
  • Dec 19 2024 10:17PM
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित ऑनलाइन संस्कृत सम्भाषण कक्षा में गीतासप्ताह के अन्तर्गत गीता आधारित प्रेरणा सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें संस्कृतभारती, अवध प्रान्त के प्रान्त अध्यक्ष शोभन लाल उकिल ने मुख्य वक्ता के रूप में सभी को संबोधित किया। शोभनलाल ने अपने प्रेरक उद्बोधन में संस्कृत के महत्व को बताते हुये कहा कि शास्त्र के अध्ययन के लिए संस्कृत अनिवार्य है । शास्त्र के लिए व्याकरण आवश्यक और व्याकरण से पूर्व भाषा का ज्ञान भी आवश्यक होना जरूरी है । व्याकरण के बिना उच्चारण दोष उत्पन्न होता है जिसके असम्यक होने से अर्थ का परिवर्तन होता जाता है । प्रत्येक शाखा में उसकी एक उच्चारण पद्धति होती है । अतः उच्चारण दोष का परिहार करना चाहिए । वर्णोच्चारण शिक्षा के लिए संस्कृत अति आवश्यक है । उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल हमारे संस्कार में ही नहीं बल्कि संस्कृति और संहिता का आधार भी संस्कृत है अतः संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है । *संस्कृत के बिना भारत की उन्नति संभव नहीं* वक्ता ने संस्कृत भाषा की महत्ता को बताते हुये कहा कि संस्कृत अनुवाद की भाषा नहीं है, उसका अनुवाद अन्य भाषाओं में सम्भव नहीं है । संस्कृत भाषा के शब्दों में जो गम्भीरता है वो अन्य भाषाओं में सामर्थ्य ही नहीं है । विश्व में जो भी श्रेष्ठ है वो संस्कृत में ही निहित है संस्कृत के बिना भारत की उन्नति सम्भव नहीं है । उन्होंने संस्थान को बधाई और शुभकामनायें देते हुये कहा कि संस्कृत भाषा के संवर्धन के संस्थान द्वारा किया जा प्रयास सराहनीय है जिससे समाज में संस्कृत की अलख नित निरन्तर जाग रही है । *कार्यक्रम में हुयी विभिन्न प्रस्तुतियां* सत्र का आरम्भ गीतों के श्रवण से किया गया । छात्रा निरंजना द्वारा सरस्वती वंदना की तो सोनम ने संस्थान गीतिका कर सभी का मन मोहा । गीता के श्लोकों का वाचन छात्रा रागिनी और छात्र विश्वामित्र ने किया । गीता के श्लोक की व्याख्या छात्र अरूण ने तो भक्तियोग का पारायण छात्र रामदेव शास्त्री ने किया । प्रशिक्षक अंशु गुप्ता ने स्वागत भाषण एवं प्रास्ताविक संबोधन देकर अतिथि परिचय कराया । संचालन प्रशिक्षिका डा॰ श्वेता ने कुशलतापूर्वक किया, जबकि प्रशिक्षिका अनीता वर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। संस्कृत के इस प्रेरणादायक सत्र में सहभागियों ने न केवल भाषा का अभ्यास किया, बल्कि इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को भी अनुभव किया। कार्यक्रम का कुशल आभासीसंचालन प्रशिक्षक महेन्द्र ने किया । कार्यक्रम में संस्थान के समन्वयक धीरज मैठाणी, समन्वयिका राधा शर्मा एवं अन्य सभी प्रशिक्षक उपस्थित रहे ।

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

संबंधि‍त ख़बरें

ताजा समाचार