लखीमपुर खीरी की गुलबसा ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपनाया और अपना नाम पूजा रख लिया। दरअसल, रविवार को बरेली के एक शिव मंदिर में पूजा (गुलबसा) ने सुमित के साथ सात फेरे लेकर एक नई जिंदगी की शुरुआत की। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर गुलबसा ने सनातन धर्म को स्वीकार किया और जीवन साथी के रूप में सुमित को चुना।
इंस्टाग्राम के जरिए हुई मुलाकात
पूजा और सुमित की मुलाकात इंस्टाग्राम के जरिए हुई थी। सुमित कुमार दिल्ली की एक कंपनी में काम करते हैं और गुलबसा से बातचीत बढ़ने के बाद उन्होंने एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का निर्णय लिया। गुलबसा के घर में उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। जिसके बाद 25 फरवरी को उन्होंने घर छोड़कर सुमित के पास आकर उनके साथ शादी करने का फैसला लिया।
शादी के बाद खुशी का माहौल
पूजा और सुमित ने बरेली के शिव मंदिर में सात फेरे लिए और एक-दूसरे को जीवनभर का साथी चुना। विवाह के बाद सुमित के परिवार में खुशी का माहौल था और मिठाई बांटकर खुशियां मनाई गईं। इस शादी की चर्चा अब हर तरफ हो रही है और मंदिर में हुई शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
शादी के बाद पूजा ने कहा कि, अब उन्हें हलाला और तीन तलाक का डर नहीं है। पूजा ने आगे कहा कि, सनातन धर्म में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है और यह विवाह सात जन्मों का बंधन है, जो उन्हें बहुत प्रभावित करता है। उन्होंने कहा, "अब मैं सुरक्षित हूं और घर वापसी कर ली है।" पूजा ने बताया कि सौतेली मां ने हमेशा उन्हें प्रताड़ित किया और 12वीं के बाद पढ़ाई की इच्छा रखने पर उसे रोक दिया। कुछ समय पहले ही उनका परिवार नोएडा में शिफ्ट हो गया था। इंस्टाग्राम के माध्यम से सुमित से परिचय हुआ, जो दिल्ली में काम करते थे। पूजा ने सुमित को अपनी स्थिति के बारे में बताया, जिसके बाद सुमित ने उन्हें दिल्ली में नौकरी दिलवाने की मदद की।
पूजा ने बताया कि जब सौतेली मां ने 30 साल बड़े व्यक्ति से निकाह करने का दबाव डाला, तब वह समझ गईं कि सौतेली मां उन्हें किसी और से ब्याहना चाहती थी। इसके बाद सुमित ने उनका साथ दिया और दोनों ने मिलकर घर छोड़ने का फैसला किया। दोनों के शादी के बाद सुमित के परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार किया है और शादी के बाद संतुष्ट हैं। पूजा ने कहा कि, सौतेली मां से जान का खतरा होने के कारण वे कुछ समय तक किसी दूर शहर में रहने का निर्णय लेंगे।