एक ओर जहां पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है वही पश्चिम बंगाल की धर्मनगरी सिलीगुड़ी के इतिहास में यह पहली बार है कि पारंपरिक हिंदू परंपरा जागृत हुई है। सिलीगुड़ी में आज यानी रविवार को लाखों लोगों ने एक स्वर में गीता पाठ किया है। 'सनातन संस्कृति संसद' के तत्वाधान में यह भव्य धार्मिक समारोह पूर्णिमा तिथि के अवसर पर यानी 15 दिसंबर को सिलीगुड़ी के कावाखाली मैदान में आयोजित किया गया। इसमें लाखों लोग एक साथ एक स्वर ओर कंठ से गीता का पाठ किया।
इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि, आज माघशीर्ष मास की पूर्णिमा पश्चिम बंगाल के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। सिलीगुड़ी का कावाखाली मैदान, जिसे आज नाम दिया गया कुरुक्षेत्र मैदान। वास्तविक में एक अद्भुत दृश्य, एक साथ एक लाख गीत पाठ। ये केवल रैली नहीं, बल्कि वास्तव में रेजिस्ट्रेशन है। विशाल ग्राउन्ड में गीत प्रेमियों की अपार भीड़। मुझे लगता है कि यह संख्या एक लाख से अधिक होगी। एक प्लॉट में पूरे पश्चिम बंगाल के संत उपस्थित हैं। मंच पर अलग-अलग संप्रदायों के संत एक साथ विराजित हैं। मंच से कहा गया कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र का वह मैदान केवल महाभारत युद्ध के लिए मैदान नहीं था, बल्कि अधर्म पर धर्म की विजय का मैदान था। कुरुक्षेत्र में एक पक्ष में धर्म था और दूसरे पक्ष में अधर्म था, भगवान धर्म के पक्ष में रहते हैं और अंततः धर्म की विजय हुई। दुर्योधनी अहंकार समाप्त हुआ।
इसके आगे उन्होंने कहा, उस समय कुरुक्षेत्र मैदान में एक ऐसा अवसर आया कि महावीर अर्जुन लड़खड़ा गया, घबरा गया और उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने गीत का उपदेश देकर कर्तव्य पथ के लिए अर्जुन को प्रबोधित किया, चेताया, जगाया। लेकिन आज ये विराट अद्भुत भाव जो है 'एक साथ एक लाख गीता पाठ' यह पुनः मात्र औपचारिकता के लिए नहीं है। ये उस उद्बोधन के लिए हैं कि फिर से समय है कि हम जागे, फिर से समय है कि हम स्वयं को अर्जुन मानें। आज भी कहीँ ना कहीं अधर्म हमारे सामने खड़ा है, आज भी आसुरी वृत्तियाँ बढ़ती हुई दिखाई दे रही है, जो कहीं ना कहीं सनातन को निगलना चाहती है। आज फिर से आवश्यकता है सनातन स्वाभिमान जगे, सनातन अस्मिता जागे। ये आयोजन 'एक साथ एक लाख गीता पाठ' के साथ साथ उस चेतावनी और प्रेरणा को साथ लिए हुए है। चेतावनी इस रूप में है कि, पास में ही बांग्लादेश और बांग्लादेश में सनातनी हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है, मंदिर टूट रहे हैं। उसमें भी निश्चित हमें जगाना है। यह पूरा आयोजन प्रेरणा, उद्बोधन और हम 'एक बने हम एक बने' इस आवाहन का आयोजन रहा। इस आयोजन से विपक्षी और विधर्मी लोगों को निश्चित रूप से ये चेतावनी मिलेगी। हम ये निश्चित बने कि भगवद गीता हमें एक बनाए ताकि हम सेफ रह कर के अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाएं।
इस कार्यक्रम में स्वामी श्री प्रदीप्तानन्द जी महाराज (प्रधानाचार्य, भारत सेवाश्रम सखी, बेलडांगा), कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. जी. बी दास, स्वामी श्री सर्वानंद अवधूत महाराज (महानिर्वीण मोई, कोलकाता), श्री बन्धु गौरव ब्रह्मचारी (महानम समुदाय, कोलकाता), श्री प्रभानंदपुरी महाराज (सुनील महाराज) (मानव सेवा मिशन, हुगली), त्रिदंडी स्वामी भक्ति निलय जनार्दन महाराज (नेरोत्तम गौड़ीय मठ, सिलीगुड़ी), स्वामी श्री धर्मात्मानंद महाराज (भारत सेवाश्रम संघ, सिलीगुड़ी), भक्तिवेदांत सज्जन महाराज (केशव गोस्वामी गौड़ीय मठ, सिलीगुड़ी), श्री हिरण्मय गोस्वामी महाराज (राधाकुंड, वृन्दावन), डॉ अरुण कुमार गुप्ता (महासचिव प्रेममंदिर आश्रम, रिषदा, हुगली), श्री निर्गुणानन्द ब्रह्मचारी, स्वामी विश्वात्मानंदजी महाराज (सह-अध्यक्ष), मोहन प्रिय आचार्य (श्रीकृष्ण प्रणामी मिशन, सिलीगुड़ी), सदी दीपिका बाईजी (मानवतावाद हसबेला अराम, सिलीगुड़ी), पंडित विष्णु प्रसाद शास्त्री (देसा), काज़िमन छेत्री (संत निरंकारी मिशन) सोनम लामा (बुद्धगुड़ा, सालुगाड़ा), प्रेमा रिम्पोछे (बुद्धसुक्षा, सालुगाड़ा), गुरुचरण सिंघोरा (गुरुद्वारा, सिलीगुड़ी), संघ के प्रान्त प्रचारक श्यामा प्रसाद राय जी, VHP के प्रान्त सचिव लक्ष्मण बंसल, विभाग सचिव राकेश अग्रवाल, जिला उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता सुशील रामपुरिया, श्रीनाथजी महाराज (साईं दरबार, सिलीगुड़ी) आदि अपने जनों के साथ उपस्थित होकर सहभागिता दी।
संगीता झा (ब्युरो चीफ पश्चिम बंगाल)