हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। वैसे तो पूर्णिमा तिथि हर माह आती है, लेकिन मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि बहुत खास मानी जाती है। इसे अगहन पूर्णिमा, मोक्षदायिनी पूर्णिमा और बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन जगत के पालनकर्ता भगवान श्री हरि विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करने से जीवन में खुशियां आती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान और पुण्य का फल अन्य पूर्णिमा से बत्तीस गुना अधिक होता है।
मार्गशीर्ष माह पूर्णिमा तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल के आखिरी महीने यानी मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर, शनिवार को शाम 4:58 बजे शुरू होगी। तिथि का समापन 15 दिसंबर रविवार को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगा. जिसके अनुसार पूर्णिमा तिथि का व्रत 15 दिसंबर को रखा जाएगा। 15 दिसंबर को चंद्रोदय शाम 5:14 बजे होगा।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 17 मिनट से लेकर 06 बजकर 12 तक
अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर 12बजकर 37 मिनट तक
विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजे से 02 बजकर41 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- 05 बजकर 24 मिनट से लेकर 05 बजकर51 मिनट तक
सायाह्न सन्ध्या शाम 05 बजकर 26 मिनट से लेकर 06:48 मिनट तक
अमृत काल सुबह 06 बजकर 06 मिनट से लेकर 07 बजकर 36 मिनट तक
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन अगर यह संभव न हो तो आप नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद इसे श्रीहरि को अर्पित करें जिसमें तुलसी अवश्य शामिल हो। भोग लगाने के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें. फिर शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा करें और अर्घ्य दें। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन पूजा के बाद दान अवश्य करें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर इन मंत्रों का करें जाप
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन क्या न करें?
इस दिन झूठ बोलना, चोरी करना, किसी का अपमान करना आदि नहीं करना चाहिए।
अपना मन शांत रखें और क्रोध तथा अभद्र भाषा के प्रयोग से बचें।
इस दिन मांसाहारी भोजन या किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
मन में सकारात्मक विचार रखें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।