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Pitru Paksh 2024: पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण ना करने वाले हो जाएं सावधान... पूर्वजों से जुड़े प्रश्नों का गरुड़ पुराण देती है उत्तर

किसी के पूर्वज खुश नहीं हैं तो वह व्यक्ति जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता है

Ravi Rohan
  • Sep 23 2024 1:16PM

क्या श्राद्ध न करने से हमारे पितर हमें श्राप देते हैं? आख़िर कोई पूर्वज अपनी संतानों को श्राप क्यों देगा? ये सवाल आपके मन में कभी न कभी तो जरूर आए होंगे। पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए उन्हें तर्पण, श्राद्ध और अन्न दान करने को कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि अगर किसी के पूर्वज खुश नहीं हैं तो वह व्यक्ति जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता है, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि आपके पितर नाराज होने पर श्राप भी दे सकते हैं? आइए जानते हैं गरुड़ पुराण में इस विषय में क्या लिखा है।

कौन होते हैं पितर?

गरुड़ पुराण के अनुसार हमारे पूर्वज हमारे पितृ होते हैं। इसका मतलब यह है कि जब कोई व्यक्ति अपना पूरा जीवन व्यतीत करने के बाद पृथ्वी लोक छोड़ देता है, तो उसे अपने कर्मों का हिसाब देने के बाद कुछ समय पितृ लोक में बिताना पड़ता है। जिन पूर्वजों की मृत्यु वृद्धावस्था में हुई, वे पितृलोक में निवास करते हैं।

पितृ लोक के देवता अर्यमा हैं, जिन्हें पितृ लोक का राजा या प्रमुख माना जाता है। वहीं यमदेव को पितृलोक का न्यायाधीश माना जाता है। पितरों को दो श्रेणियों में रखा गया है। एक दिव्य पितृ और दूसरा मनुष्य पितृ। दिव्य पितृ उस श्रेणी का नाम है, जो प्राणियों के कर्मों को देखकर यह निर्णय लेते हैं कि मृत्यु के बाद उन्हें क्या गति दिया जाना चाहिए। 

पितरों का निवास चंद्रमा के ऊपरी भाग में माना गया है। मृत्यु के बाद आत्माएं एक से सौ वर्षों तक पितृ लोक में निवास करती हैं। पितृ लोक के श्रेष्ठ पितृ को न्यायदात्री समिति का सदस्य माना जाता है। वे किसी पितृ के अच्छे-बुरे कर्मों का निर्णय भी करते हैं। भोजन और अग्नि शरीर और मन को तृप्त करते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार जिस प्रकार पृथ्वी पर किसी भी विभाग को चलाने के लिए एक व्यवस्था होती है, उसी प्रकार पितृलोक को भी चलाने के लिए एक व्यवस्था बनाई गई है। यहीं पर मनुष्यों के पूर्वज निवास करते हैं।

क्या है पितृ पक्ष?

पितृ पक्ष का समय बहुत ही खास माना जाता है। इसे श्राद्ध भी कहा जाता है। पितरों को तर्पण देने का यह महत्वपूर्ण समय है। पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलता है। मान्यता है कि इस दौरान पितरों को तर्पण देने से उन्हें मोक्ष मिलता है। इस साल 17 सितंबर 2024 से पितृ पक्ष शुरू हो गया है। यह पक्ष 2 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध नहीं करता है या अपने पितरों को तर्पण नहीं देता है तो उसके जीवन में क्या-क्या समस्याएँ आ सकती हैं? इसका उत्तर गरुड़ पुराण में लिखा गया है।

रुक जाती है तरक्की...

यदि पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध नहीं किया गया तो लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। पौराणिक मान्यता है कि अगर किसी के पूर्वज प्रसन्न नहीं हैं, तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति की प्रगति में बाधा आ सकती है।

श्राद्ध नहीं करने पर लगता है दोष

पूर्वजों का श्राद्ध नहीं करने से पितृदोष लगता है। इसका कारण यह है कि श्राद्ध-तर्पण न करने से पितर अतृप्त रहते हैं। वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देने के बजाय कष्ट देते हैं। जिस परिवार में श्राद्ध नहीं किया जाता है वहाँ दीर्घजीवी, स्वस्थ अथवा वीर बच्चे पैदा नहीं होते। इसके अलावा ऐसे परिवार में शुभ कार्य भी नहीं होते हैं। इसके साथ ही जो लोग पितरों का श्राद्ध अथवा तर्पण नहीं करते हैं वह हमेशा बिना किसी गलती के झूठे आरोपों में फंस जाता है।

संतान पर बुरा प्रभाव

पितरों के लिए श्राद्ध कर्म न करना अशुभ माना जाता है। इससे आने वाली पीढ़ियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इससे आपके बच्चे को भी परेशानी हो सकती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार बच्चों में कुछ बीमारियाँ जन्मजात भी हो सकती हैं।

 

 

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