Hamid Ansari: देश के प्रति गद्दारी के इनाम के तौर पर दिया गया उपराष्ट्रपति का पद ? देखिए अंसारी के कार्यों का काला चिट्ठा
आप स्वयं तय करें कि हामिद अंसारी इन सारे कृत्यों के बाद देश के द्वितीय नागरिक बनने लायक थे या जेल जाने लायक? सवाल तो उस कांग्रेस से भी है जिसने अंसारी को दो बार उपराष्ट्रपति बनाया कि आखिर अंसारी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने की क्या मजबूरी थी? जब तेहरान में रहते हुए अंसारी के कुकृत्य रॉ अधिकारीयों ने भारत सरकार से साझा किए थे, तो भी अंसारी को दो बार उपराष्ट्रपति क्यों बनाया गया ?
एक ऐसा व्यक्ति जो देश का दूसरा नागरिक रहा हो, देश का उपराष्ट्रपति रहा हो, देश का राजदूत रहा हो, उससे अपेक्षा की जाती है कि वह देश के लिए कार्य करेगा, देशहित में कार्य करेगा लेकिन मोहम्मद हामिद अंसारी ऐसे नहीं हैं. ऐसा लगता है कि मोहम्मद हामिद अंसारी ने जैसे भारत की छवि को धूमिल करने का टेंडर ले लिया हो. कई बार ऐसे प्रमाण सामने आए हैं जब हामिद अंसारी की जहरीली व देशविरोधी सोच बेनकाब हुई है बल्कि अपनी अनर्गल बयानबाजी से भारत की छबि को कलंकित करने की भी कोशिश की.
इस्लामिक चरमपंथी संगठन PFI समर्थक मोहम्मद हामिद अंसारी उस भारत को असहिष्णु बता चुके हैं, जिस भारत ने दौलत दी, शोहरतद दी, मान दिया, सम्मान दिया, जिस भारत के वह 10 साल तक उपराष्ट्रपति रहे, जो भारत वसुधैव कुटुंबकम को मानता है. हामिद अंसारी ने इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के मंच से भारत को असहिष्णु बताया था. ये वो संगठन है जिस पर ISI व भारत में दंगे की साजिश रचने का आरोप है
वही जहरीले हामिद अंसारी एक बार फिर से बेनकाब हुए हैं. हामिद अंसारी को इस बार बेनकाब किया है पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने जो भारत में ISI के लिए जानकारी जुटाता था. नुसरत मिर्जा ने दावा किया है कि वह हामिद अंसारी के उप-राष्ट्रपति रहते उनका मेहमान बन कर भारत आया था और 15 राज्यों का दौरा कर ISI के लिए सूचनाएं इकट्ठी की, जासूसी की. नुसरत मिर्जा ने दावा किया कि उस दौरान 56 मुस्लिम सांसद थे भारत में, जो उनके दोस्त हैं और काफी मददगार रहे। उसे भारत के तीन शहरों की जगह पांच शहरों में जाने की अनुमति मिल जाती थी. दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, पटना और कोलकाता भी गया और जानकारियां एकत्रित कर ISI को सौंपी.
इससे पहले भी कई बार हामिद अंसारी के बारे में ऐसी जानकारी सामने आ चुकी है, जिसे जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे कि आखिर इस व्यक्ति को भारत का उपराष्ट्रपति कैसे बना दिया गया ? पूर्व रॉ अधिकारी एनके सूद ने दावा किया था कि हामिद अंसारी जब ईरान में भारत के राजदूत थे, तब उन्होंने भारतीय हितों के खिलाफ काम किया था. मैं ईरान की राजधानी तेहरान में था और हामिद अंसारी वहां राजदूत थे. अंसारी ने तेहरान में रॉ के सेटअप को एक्सपोज करके उसके अफसरों की जान खतरे में डाल दी थी. बाद में उन्हें दो बार देश का उपराष्ट्रपति बनाया गया.
एनके सूद के बयानों से ही पता चला था कि, अंसारी 1990-92 के बीच ईरान में भारतीय राजदूत रहते हुए तेहरान में न केवल भारत के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करने में नाकाम रहे थे, बल्कि ईरान की सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी SAVAK की मदद भी की थी, जिसके कारण रॉ और उसके अभियानों को गंभीर नुकसान पहुँचा. अधिकारियों के मुताबिक चार बार भारतीय दूतावास में कार्यरत अधिकारियों और राजनयिकों का SAVAK ने अपहरण किया और अंसारी ने भारत के राष्ट्रीय हितों का ख्याल नहीं रखा.
रॉ अधिकारी आरके यादव ने 2018 में हामिद अंसारी के बारे में सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया था कि रॉ के अधिकारी डी बी माथुर, तेहरान के करीब कौम में कश्मीर के युवकों के लिए चल रहे ट्रेनिंग कैंप पर नियमित रुप से दिल्ली को रिपोर्ट भेजते रहते थे. ये सभी रिपोर्ट्स राजदूत हामिद अंसारी के पास से होकर गुजरती थीं, इनमें से कई रिपोर्ट्स को लेकर हामिद अंसारी काफी विरोध में रहते थे. इसी दौरान, एक सुबह डी बी माथुर को ईरान की गुप्तचर संस्था ने अगवा कर लिया, लेकिन हामिद अंसारी ने ईरान की सरकार से इस बारे में कोई बात नहीं की और बहुत ही साधारण रिपोर्ट दिल्ली भेज कर शांत हो गए. दो दिनों तक डी बी माथुर के बारे में कोई जानकारी न मिलने पर भारतीय दूतावास के करीब 30 अधिकारियों की पत्नियों ने हामिद अंसारी के चैम्बर में जबरदस्ती घुसकर विरोध भी दर्ज कराया था.
दूसरे दिन ही आर के यादव, विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी से मिले और पूरी घटना की जानकारी दी. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव से बात की. पी वी नरसिम्हा राव ने तुरंत कार्रवाई की और ईरान को कुछ ही घंटों में डी बी माथुर को रिहा करना पड़ा। इसके बाद माथुर को 72 घंटों के अंदर वापस दिल्ली बुला लिया गया था. आरके यादव ने अपनी किताब Mission R&AW में हामिद अंसारी के दोहरे चरित्र पर एक पूरा अध्याय- Bizarre R&AW Incidents ही लिख डाला है, जिसमें अंसारी की देशविरोधी गतिविधियां एक्सपोज की गई हैं.
इसके अलावा भी अंसारी कई बार अपनी मजहबी चरमपंथी सोच दिखाते रहे हैं. 20 नवंबर, 2020 को हामिद अंसारी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की किताब ‘The Battle of Belonging’ के डिजिटल विमोचन के मौके पर कहा कि देश कोरोना से पहले ही दो महामारी का शिकार हो चुका है. ये हैं- धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद.
दस साल तक उप-राष्ट्रपति रहने वाले हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन ही कहा था कि देश के मुसलमानों में घबराहट का भाव है और वो असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हामिद अंसारी 10 साल तक उपराष्ट्रपति रहे, तब तक उन्हें भारत अच्छा लगता रहा लेकिन जैसे ही उनकी उपराष्ट्रपति पद से विदाई हुई, उन्हें भारत असुरक्षित लगने लगा था. उपराष्ट्रपति एक धर्म या वर्ग का नहीं होता बल्कि राष्ट्र का होता है लेकिन जिस तरह अंसारी ने अपने कार्यकाल के आख़िरी दिन बयान दिया, उससे स्पष्ट होता है कि वह कभी 125 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाए बल्कि सिर्फ मुस्लिमों के प्रतिनिधि बनकर रह गए.
हामिद अंसारी की मानसिकता कितनी जहरीली है, ये तब और सामने आया जब वह केरल में 23 सितंबर, 2017 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक कार्यक्रम में ये जानते हुए भी शिरकत की थी कि इस संगठन पर आतंकियों के समर्थन का आरोप है. PFI पर युवाओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती करने के आरोप लगते रहे हैं. केरल हाईकोर्ट PFI को चरमपंथी संगठन बोल चुका है. देश में कई दंगों में PFI का नाम आ चुका है. ऐसे में देश के किसी संवैधानिक पद पर लंबे समय तक रहे किसी शख्स का PFI से संबंधित कार्यक्रम का हिस्सा बनना कई सवाल छोड़ता है.
इसके अलावा हामिद अंसारी ने देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में देश के विभाजन के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था. अंसारी ने कहा था कि विभाजन के लिए भारत भी बराबर का जिम्मेदार था लेकिन सियासत के लिए सिर्फ मुसलमानों को जिम्मेदार ठहरा दिया गया. इसके अलावा राष्ट्रवाद को ‘जहर’ बताना हो या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर का मामला हो, तीन तलाक के कानून का विरोध हो या देश के हर जिले में शरिया अदालतें स्थापित करने का ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रस्ताव हो, सभी मामलों में हामिद अंसारी ने विवादित बयान दिया है।
इसके अलावा हामिद अंसारी ने राष्ट्ररक्षक सेना के जवानों के शौर्य पर सवाल उठाते हुए बालाकोट एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे थे. अंसारी ने कहा था कि देश के लोगों को बालाकोट एयरस्ट्राइक पर सवाल उठाने का पूरा हक है. तत्कालीन विंग कमांडर अभिनंदन द्वारा पाकिस्तान के F-16 को मार गिराने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कि अगर मैं कह दूं कि मैंने किसी शेर को मारा है तो मुझे उस शेर को दिखाना भी होगा.
अब आप स्वयं सोचिए कि हामिद अंसारी को क्या कहें ? किसी ने लिखा है कि घर का भेदी लंका ढाए, नीचता की पराकाष्ठा, दोगले चरित्र वाले, खाये यहां की बजाए वहां की…. आज यह सभी उपमाएं-अलंकार जिस व्यक्ति के लिए व्यक्त किए जा रहे हैं वो दुर्भाग्यवश भारत के उपराष्ट्रपति रहे हैं, वो हामिद अंसारी हैं. कांग्रेस पार्टी ने भले ही कुछ भी सोचकर अंसारी को भारत का उपराष्ट्रपति बनाया हो लेकिन अंसारी के कृत्यों से पता चलता है कि वह इस सम्मानजनक व जिम्मेदार पद के लायक नहीं थे.
इससे बड़ी गद्दारी क्या होगी कि हामिद अंसारी को भारत का उपराष्ट्रपति बनाया और अंसारी ने ही भीतरघात करने का काम किया, नुसरत मिर्जा की जासूसी में मदद की। जो व्यक्ति अपने देश की संवदेनशील जानकारी ISI ऐजंटों को रेवड़ी समझकर बांट रहा हो उसे आप क्या कहेंगे? स्लीपर सेल का गुर्गा कहेंगे या देशद्रोही ? देश के उच्चस्थ पद पर बैठा व्यक्ति देश को संभालने की जगह देश की बर्बादी के लिए कार्य सकता है, क्या आप ऐसा सोच भी सकते हैं ? लेकिन अफसोस, हामिद अंसारी ने ऐसा किया तथा इस बात की जानकारी उसी नुसरत मिर्जा ने दी है, जिसने हामिद अंसारी का मेहमान बनकर भारत की जासूसी की.
अगर आप इन सारे घटनाक्रमों पर गौर करेंगे तो स्पष्ट होगा कि कैसे मोहम्मद हामिद अंसारी ने देश के विश्वास को चूर-चूर किया. आप स्वयं तय करें कि हामिद अंसारी इन सारे कृत्यों के बाद देश के द्वितीय नागरिक बनने लायक थे या जेल जाने लायक? सवाल तो उस कांग्रेस से भी है जिसने अंसारी को दो बार उपराष्ट्रपति बनाया कि आखिर अंसारी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने की क्या मजबूरी थी? जब तेहरान में रहते हुए अंसारी के कुकृत्य रॉ अधिकारीयों ने भारत सरकार से साझा किए थे, तो भी अंसारी को दो बार उपराष्ट्रपति क्यों बनाया गया ?
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