करवा चौथ हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है। करवा चौथ, जिसे खासतौर पर उत्तर भारत में मनाया जाता है, 2024 में 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए मनाती हैं। इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चाँद निकलने के बाद अपने पति के हाथ से पानी और खाना ग्रहण करती हैं।
क्या है इसके पीछे की कहानी
इस पर्व की कहानी विभिन्न मान्यताओं पर आधारित है, लेकिन सबसे प्रमुख कथा राजा भृद्वाज और रानी वृषाली की है। कहा जाता है कि एक बार रानी वृषाली ने अपने पति की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए उपवास रखा। उनके पति युद्ध में चले गए और रानी ने उनके लौटने की कामना की। युद्ध के दौरान राजा को गंभीर चोट आई, लेकिन रानी के उपवास के कारण उन्हें विजय प्राप्त हुई। इस तरह, रानी वृषाली की भक्ति और समर्पण ने न केवल उनके पति की जान बचाई, बल्कि उन्हें फिर से एक साथ लाने का कार्य किया।
करवा चौथ का एक और रोचक पक्ष यह है कि इस दिन महिलाएं चाँद की पूजा करती हैं। चाँद के निकलने के बाद, वे उसकी आरती उतारती हैं और उसे देखकर अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। इस दिन की तैयारी भी विशेष होती है, जिसमें महिलाएं साज-श्रृंगार करती हैं और दिनभर अपने पति की भलाई की कामना करती हैं।
समय के साथ, करवा चौथ की महत्ता और भी बढ़ गई है। यह न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और एकता का प्रतीक भी है। आज के समय में, यह पर्व सामूहिकता और सामाजिक संबंधों को भी मजबूत बनाता है। कई महिलाएं इस दिन एक साथ मिलकर उपवास रखती हैं और एक-दूसरे का सहयोग करती हैं, जिससे यह पर्व और भी विशेष बन जाता है।