इनकी चर्चा करते तो खतरे में पड़ जाते उनके स्वघोषित धर्मनिरपेक्षता के नकली सिद्धांत. इनके बारे में बताते तो उनके आका हो जाते नाराज जिनकी चाटुकारिता के उन्हें पैसे मिलते थे. इनका सच दिखाते तो इतिहास काली स्याही का नहीं बल्कि स्वर्णिम रंग में होता. इनका जिक्र करते तो समाज मे न तो लव जिहाद होता और न ही धर्मांतरण और ये सब न होता तो उनकी दुकानदारी न चलती.
भारत के इतिहास को विकृत करने वाले चाटुकार इतिहासकारो द्वारा किए गए पाप का नतीजा है कि धर्म के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह जी का आज बलिदान दिवस है, लेकिन इस वीर बलिदानी को भारतीय में बहुत कम लोग जानते हैं. आज उस वीर बलिदानी के बलिदान दिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी शौर्य गाथा को समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.
सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह जी का बलिदान दिवस आज 24 नवंबर को है. गुरु तेग बहादुर जी ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान कर दिया था. वे प्रेम त्याग और बलिदान के सच्चे प्रतीक हैं. इतिहास में हिंद की चादर के नाम से ख्यात गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान आज 24 नवंबर को बलिदान दिवस के रुप में मनाया जाता है.
गुरु तेग बहादुर जी ने ऐसे लोगों के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया था. जो लोग उनके समुदाय के भी नहीं थे. वर्ष 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक पर मुगल बादशाह औरंगजेब ने सिखों के नौवें धर्मगुरु तेग बहादुर जी की हत्या कर दी थी. गुरु तेग बहादुर जी की हत्या दुनिया में मानव अधिकारों की रक्षा करने के लिए पहला बलिदान मानी जाती है. गुरु तेज बहादुर जी बलिदान हो गए लेकिन औरंगजेब के सामने नहीं झुके.
औरंगजेब की कट्टरता के कई किस्से इतिहास में भरे पड़े हैं. भारतीय इतिहास में औरंगजेब को एक कट्टरपंथी इस्लामी मुगल बादशाह के रूप में जाना जाता है. औरंगजेब भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता था.और इसके लिए औरंगजेब ने हिंदुओं को कई तरह से मजबूर और प्रताड़ित भी किया. ऐसे में परेशान होकर पंडित कृपा राम ने नेतृत्व में 500 कश्मीरी पंडितों को एक दल आनंदपुर साहिब में गुरु तेग बहादुर जी से मदद मांगने के लिए गए थे. गुरु गोविंद सिंह उनकी मदद के लिए तैयार हो गए थे.
गुरु तेज बहादुर जी ने औरंगजेब को चुनौती दी है कि वे मर जाएंगे लेकिन इस्लाम कबूल नहीं करेंगे. लेकिन औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर लिया और पांच दिनों तक कड़ी शारीरिक यातनाएं दी. औरंगजेब के बर्बरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुरु तेग बहादुर जी के सामने ही उनके समर्थकों को जिंदा जला दिया गया. गुरु तेज बहादुर जी ने भी अपने प्राणों का बलिदान दे दिया, लेकिन औरंगजेब के सामने नहीं झुके. गुरु तेगबहादुर सिंह जी ने कश्मीरी हिन्दुओं तथा गैर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की बलिदान दिया था. मुगल बादशाह औरंगजेब जबरन उन सभी लोगों को इस्लाम धर्म अपनाने पर तुला था. लेकिन इसके बावजूद औरंगजेब गुरु तेज बहादुर जी को झुका नहीं पाया.