जगद्गुरु कृपालु महाराज की सबसे बड़ी पुत्री और जगद्गुरु कृपालु परिषद् (JKP) की अध्यक्षा डॉ. विशाखा त्रिपाठी (75 वर्षीय) का नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे पर एक सड़क दुर्घटना के बाद निधन हो गया।
हादसा सुबह करीब 5 बजे हुआ। उनके पार्थिव शरीर को शाम चार बजे तक वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर ले जाया गया है, जहां अनुयायी दर्शन कर सकेंगे। 28 नवंबर को उनका अंतिम संस्कार यमुना तट पर किया जाएगा।
सिंगापुर जाने की तैयारी में थीं
डॉ. विशाखा त्रिपाठी रविवार रात सिंगापुर के तीन दिवसीय प्रवास के लिए निकली थीं। वे दो गाड़ियों के काफिले में यात्रा कर रही थीं। उनकी गाड़ी में दो अन्य लोग भी मौजूद थे, जबकि दूसरी गाड़ी में उनकी बहनें, डॉ. श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी थीं।
दिल्ली के गोलोकधाम की ओर प्रस्थान
आज सुबह एयरपोर्ट जाने से पहले उन्हें दिल्ली के द्वारका स्थित गोलोकधाम पहुंचना था। लेकिन दनकौर के पास उनकी गाड़ी एक ट्रक से टकरा गई। पीछे से आ रही उनकी बहनों की गाड़ी भी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में डॉ. विशाखा त्रिपाठी और ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
अस्पताल में उपचार के दौरान निधन
दुर्घटना के बाद डॉ. विशाखा त्रिपाठी और अन्य घायलों को नोएडा के कैलाश अस्पताल ले जाया गया, जहां से रेफर कर दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान डॉ. विशाखा का निधन हो गया। घटना में उनके साथ यात्रा कर रहे दो अन्य लोग और उनकी बहनें भी चोटिल हुई हैं।
जगद्गुरु कृपालु परिषद् ने जताया शोक
जगद्गुरु कृपालु परिषद् ने डॉ. विशाखा त्रिपाठी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए एक संदेश जारी किया। इसमें उनके योगदान और व्यक्तित्व की सराहना भी की गई।
दुर्घटना का कारण
स्थानीय पुलिस का कहना है कि हादसा ट्रक चालक की लापरवाही के कारण हो सकता है। मामले की जांच जारी है।
डॉ. विशाखा त्रिपाठी का जीवन परिचय
डॉ. विशाखा त्रिपाठी का जन्म 1949 में भक्ति धाम के पास लीलापुर गांव में हुआ। वे बचपन से ही अनुशासनप्रिय और सहज व्यक्तित्व की धनी थीं।
शैक्षिक और कलात्मक उपलब्धियां
उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से कला में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। वे एक कुशल चित्रकार थीं, जिनकी कलाकृतियां भक्ति धाम और अन्य आश्रमों में सजी हुई हैं। उनकी पेंटिंग्स आध्यात्मिकता का अद्भुत अनुभव कराती हैं।
JKP में नेतृत्व की भूमिका
डॉ. विशाखा त्रिपाठी ने 2000 के दशक की शुरुआत में जगद्गुरु कृपालु परिषद् की अध्यक्षता संभाली। उनके नेतृत्व में परिषद् ने लाखों लोगों को आध्यात्मिक और सामाजिक सहायता प्रदान की।
महिला सशक्तिकरण और पुरस्कार
उनके नेतृत्व में परिषद ने कई परोपकारी कार्य किए, जिनके लिए उन्हें "राजीव गांधी वैश्विक उत्कृष्टता पुरस्कार" और "नारी शक्ति पुरस्कार" जैसे सम्मान प्राप्त हुए।
वैश्विक स्तर पर आध्यात्मिक प्रसार
डॉ. त्रिपाठी ने भारत और विदेशों में सैकड़ों जेकेपी केंद्र स्थापित किए। उनके मार्गदर्शन में लाखों भक्तों तक जगद्गुरु कृपालु जी महाराज की शिक्षाओं को पहुंचाने का लक्ष्य पूरा हुआ।
उनका जीवन भगवान और गुरु की सेवा के लिए समर्पित था। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।