साल 2025 के पहले दिन मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए बड़ा निर्णय लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने फसल बीमा योजना के लिए आवंटन को बढ़ाकर 69,515 करोड़ रुपये करने का ऐलान किया। इस कदम से करोड़ों किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा, सरकार ने किसानों को क्लेम जल्दी मिल सके इसके लिए एक नया फंड स्थापित करने का भी निर्णय लिया है।
सरकार की ओर से अतिरिक्त सब्सिडी का ऐलान
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने DAP उर्वरक के लिए अतिरिक्त सब्सिडी का भी ऐलान किया है। सरकार ने इसके लिए 3,850 करोड़ रुपये के एकमुश्त पैकेज को मंजूरी दी है, ताकि किसानों को 1,350 रुपये प्रति 50 किलो की दर से डीएपी मिलता रहे। सरकार अतिरिक्त लागत खुद वहन करेगी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रमुख विशेषताएँ (2023-24)
1. सबसे बड़ी बीमा योजना
यह योजना पॉलिसी जारी करने के मामले में सबसे बड़ी है और कुल प्रीमियम के मामले में तीसरी सबसे बड़ी पॉलिसी है।
2. व्यापक क्षेत्र में लागू
यह योजना 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है और इसमें 20 सूचीबद्ध बीमा कंपनियाँ शामिल हैं।
3. फसल की संपूर्ण सुरक्षा
इस योजना में बुवाई से लेकर कटाई तक और इसके बाद भी फसल को पूरी तरह से सुरक्षा मिलेगी। इसके तहत प्राकृतिक आपदाओं और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों से होने वाले नुकसान का भी कवरेज किया जाएगा।
4. वित्तीय पैटर्न
उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए फंडिंग पैटर्न 90:10 है।
5. सस्ता प्रीमियम दर
किसानों के लिए प्रीमियम दर 1.5% से 5% तक निर्धारित की गई है। इसके अलावा, प्रीमियम दर 16% से घटकर 11% हो गई, जिससे सरकार को 10,500 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
6. तकनीकी दृष्टिकोण
इस योजना में डिजिटल और रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा। 90% बीमित क्षेत्र को डिजिटल भूमि रिकॉर्ड से वेरिफाई किया जाएगा और नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस पोर्टल के जरिए स्वचालित प्रशासन किया जाएगा।
7. किसानों को लाभ
इस योजना के तहत 4 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा, जिनमें 55% किसान नॉन-लोन श्रेणी से हैं। योजना में 6 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि कवर की जाएगी। इस योजना से छोटे और सीमांत किसानों को भी विशेष लाभ होगा, क्योंकि 88% बीमित किसान इस श्रेणी से हैं।
8. सुविधाएँ और सहायता
केंद्रीय शिकायत निवारण प्रणाली और टोल-फ्री नंबर 14447 किसानों की सहायता के लिए उपलब्ध है। पिछले आठ वर्षों में इस योजना के तहत किसानों को 1.70 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।