हैकर्स और साइबर-हमलावरों ने शनिवार 18 जनवरी की शाम को 'हिंदूफोबिया ट्रैकर' वेबसाइट को मिटाने की कोशिश की, जिससे वेबसाइट में कुछ समय के लिए व्यवधान हुआ। हालांकि कोशिश वेबसाइट को हैक करने और डेटाबेस को पूरी तरह से मिटाने की थी, जिसमें हमलावर असफल हुए, लेकिन वो डीडीओएस (DDoS)अटैक करने में कुछ घंटो के लिए सफल हो गए।
हिंदूफोबियाट्रैकर वेबसाइट के डेटाबेस में 1 जनवरी 2023 से अब तक दुनिया भर में हिंदुओं के खिलाफ नफ़रती अपराधों की सूची को सुरक्षित रखा गया है। शनिवार रात को हुए साइबर हमले के बादकई घंटों तक भारत के बाहर के उपयोगकर्ताओं के लिए ये डेटाबेस उपलब्ध नहीं था।
भारत के बाहर के उपयोगकर्ताओं को साइबर हमले के कारण वेबसाइट पे "खेद है, आपको ब्लॉक कर दिया गया है" जैसे संदेश दिख कर रहे थे। इस साइबर हमले की पुष्टि क्लाउडफ्लेयर (Cloudflare) ने की, जो एक वैश्विक आईटी सेवा प्रबंधन कंपनी है औरजो दुनिया भर की लगभग20% वेबसाइट को अपनी सेवा प्रदान करती है।हिंदूफोबियाट्रैकर वेबसाइट भी Cloudflare से संचालित है।
Cloudflare द्वारा हमले की पुष्टि हिंदूफोबियाट्रैकर के प्रोजेक्ट निदेशक नूपुर शर्मा ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर साझा की। "माफ कीजिए, हमें साइबर-हमले के कारण तत्काल कुछ उपाय करने पड़े। यह एक आदर्श समाधान नहीं है और हम एक बेहतर समाधान खोज रहे हैं," उन्होंने उन अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं को जानकारी दी जो हिंदूफोबिया ट्रैकर डेटाबेस तक पहुँच नहीं पा रहे थे। जबकि साइबर-हमलावरों ने DDoS हमला करने में सीमित सफलता प्राप्त की, वो वेबसाइट की व्यापक सुरक्षा को भंग करने में असफल रहे।
"सुरक्षा संबंधितलॉग्स दिखाते हैं कि हमलावरों ने वेबसाइट के एडमिन क्षेत्र तक पहुँच प्राप्त करने की कोशिश की ताकि वे वेबसाइट को हैक कर सकें और उसपर उटपटांग चीजें दिखा सकें," गविष्टी फाउंडेशन के निदेशक राहुल रौशनने जानकारी दी।हिंदूफोबियाट्रैकर प्रोजेक्ट और वेबसाइट गविष्टी फाउंडेशन ही चलाता है। "शायद उद्देश्य वेबसाइट को हैक करना और डेटाबेस को मिटा देना था, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्हें DDoS हमले के माध्यम से कुछ घंटों के लिए सीमित सफलता तो ज़रूर मिली।"
DDoS हमला आमतौर पर वेबसाइट के सर्वर और संसाधनों को दुर्भावनापूर्ण ट्रैफिक सेनिशाने पे लेता है, जिससे सर्वर पर बहुत अधिक भार पैदा हो जाता है और वेबसाइट को चलाने वाली स्क्रिप्ट वगैरह ठीक से चल नहीं पातीं। इसके परिणाम स्वरूप वेबसाइट सामान्य रूप से काम करना बंद कर देती है, और अधिकांश मामलों में तो वेबसाइट ऑफलाइन ही हो जाती है यानी बिलकुल ही काम करना बंद कर देती है।
हिंदूफोबिया ट्रैकर पर हमला करने वाले ज्यादातर साइबर अपराधी इंडोनेशिया के थे, इसके बाद अमेरिका और फ्रांस का स्थान था। हालाँकि ऐसे हमलावर और अपराधी अक्सर फ़र्जी पतों (आईपी एड्रेस/IP address) का इस्तेमाल करते हैं इसलिए यह भी संभव है कि हमलावर इन देशों में शारीरिक रूप से मौजूद नहीं थे। पर वो जहां भी थे, वे वेबसाइट के संवेदनशील क्षेत्रों में घुसने की कोशिश कर रहे थे।
"हम जानते थे कि हिंदूफोबियाट्रैकरपर हमला होगा क्योंकि यह पहली बार है जब हिंदुओं के उत्पीड़न को अंतरराष्ट्रीय मानकों और शब्दावली का उपयोग करके परिभाषित किया गया है। हम आश्चर्यचकित नहीं हैं," नूपुर शर्मा ने कहा। "कई ताक़तवर नेटवर्क हैं जो हिंदुओं को चुप कराना चाहते हैं। यह केवल साबित करता है कि हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक रूप से प्रेरित नफरत और अपराधों को झुठलाना और मिटाना ही इनका लक्ष्य है। वो हिन्हुओं को हमेशा अंधेरे में रखना चाहते हैं ताकि हिन्दू ये समझ ही न पाए कि उसके सामने कई तरह के ख़तरे और चुनौतियां मौजूद हैं। लेकिन ऐसे हमले हमारे इरादे को कमज़ोर नहीं कर सकते।"
गविष्टी फाउंडेशन का हिंदूफोबियाट्रैकर प्रोजेक्ट दुनिया भर में हिंदुओं के खिलाफ नफ़रत से प्रेरित अपराधों को दस्तावेज के रुप में रखने के लिए बना है। इस प्रोजेक्ट ने हिंदुओं के खिलाफ नफ़रती अपराधों की आठ मुख्य श्रेणियाँ परिभाषित की हैं और इसकी वेबसाइट एक डेटाबेस बनाए रखती है जो सार्वजनिक सूचना में ज्ञात हुए नफ़रती अपराधों को सूचीबद्ध तरीके से उस डेटाबेस में शामिल करती है। इस डेटाबेस में वर्तमान में 1 जनवरी 2023 से अब तक 1600 से अधिक अपराधों की सूची हैजिसमें हत्या, बलात्कार, हिंदू समूहों पर शारीरिक हमले से लेकर हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ हेट स्पीच शामिल हैं।