सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी बुधवार को मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) कोर्स में डोमिसाइल आधारित आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। यह निर्णय चंडीगढ़ के एक मेडिकल कॉलेज में डोमिसाइल आरक्षण लागू करने के खिलाफ दायर की गई याचिका के संबंध में आया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि अब से मेडिकल कॉलेजों में पीजी एडमिशन में डोमिसाइल आधारित आरक्षण नहीं दिया जा सकेगा।
नीट पीजी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
न्यायमूर्ति धूलिया ने अपने निर्णय में कहा, "हम सभी भारत के नागरिक हैं। राज्यों या प्रदेशों का अलग-अलग डोमिसाइल नहीं हो सकता। हर नागरिक को देश में कहीं भी रहने और शिक्षा हासिल करने का अधिकार है।" यह निर्णय यह साबित करता है कि राज्य सरकारें किसी राज्य के निवासियों के लिए विशेष आरक्षण लागू नहीं कर सकतीं, जब तक कि वह राष्ट्रीय हितों के खिलाफ न हो।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश भर के मेडिकल कॉलेजों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक दिशा-निर्देश प्रदान करता है कि मेडिकल पीजी एडमिशन के लिए डोमिसाइल आधारित आरक्षण अब असंवैधानिक होगा। इस फैसले से शिक्षा के समान अवसर सुनिश्चित होंगे और सभी योग्य उम्मीदवारों को बिना किसी भेदभाव के प्रवेश मिलेगा।
इस निर्णय के बाद, अब मेडिकल कॉलेजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे केवल मेरिट के आधार पर पीजी एडमिशन प्रदान करें और किसी भी प्रकार के डोमिसाइल आरक्षण से बचें। कोर्ट का यह कदम समानता और न्याय के सिद्धांतों को मजबूत करता है, जो कि भारतीय संविधान के मूल आधार हैं।
अब पीजी मेडिकल एडमिशन पूरी तरह मेरिट आधारित
इस फैसले के बाद अब राज्यों के कोटे से होने वाले पीजी मेडिकल एडमिशन पूरी तरह से NEET परीक्षा में मेरिट के आधार पर होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मेडिकल क्षेत्र में विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत होती है, ऐसे में निवास के आधार पर आरक्षण देना अनुचित होगा।