सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश के खंडवा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका खंडवा से निर्दलीय उम्मीदवार रहे मनोज कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सलाह देते हुए कहा कि अगली बार चुनाव की तैयारी करें।
याचिका की पृष्ठभूमि
मनोज कुमार अग्रवाल ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि ज्ञानेश्वर पाटिल ने अपनी नामांकन पत्र में मध्य प्रदेश पावरलूम बुनकर सहकारी संघ, बुरहानपुर के अध्यक्ष पद से संबंधित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जानकारी छुपाई। उनका दावा था कि पाटिल के खिलाफ यह आरोप होने के बावजूद उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने दिया गया। साथ ही, उन्होंने कांग्रेस के दूसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार नरेंद्र पटेल को विजयी घोषित करने की मांग की थी।
हाई कोर्ट का निर्णय
इससे पहले, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2024 को मनोज कुमार अग्रवाल की याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें अस्वीकार करते हुए यह भी कहा था कि वह यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि पावरलूम बुनकर सहकारी संघ राज्य सरकार के तहत आता है या नहीं, और न ही यह साबित कर पाए कि पाटिल के अध्यक्ष पद से हटने का कारण भ्रष्टाचार था।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट में भी मनोज कुमार अग्रवाल की अपील खारिज कर दी गई। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि अब उन्हें आगामी चुनाव की तैयारी करनी चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने हल्के अंदाज में कहा, "वकील सांसद बनकर भी अपनी वकालत जारी रख सकते हैं। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी को देखिए, उनके जैसे वकील आप भी बन सकते हैं। हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं।"
अगली चुनावी प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद, मनोज कुमार अग्रवाल को आगामी चुनावों में अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखने के लिए प्रेरित किया गया है। न्यायालय ने इस मामले को पूरी तरह से बंद करते हुए यह स्पष्ट किया कि वर्तमान चुनावी परिणाम में कोई बदलाव नहीं होगा।