दिल्ली विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराने वाले भाजपा उम्मीदवार परवेश वर्मा रविवार सुबह मुंडका पहुंचे। यहां उन्होंने बाबा भैंरों मंदिर में पूजा अर्चना की और आशीर्वाद लिया। इसके बाद, वे घेवरा स्थित पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की समाधि पर पहुंचे और श्रद्धा भाव से पुष्प अर्पित किए। मुंडका पहुंचने पर ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। फूलों की माला पहनाकर और ढोल की धुनों के साथ उनका अभिनंदन किया गया।
परवेश वर्मा की पीएम मोदी के प्रति आभार व्यक्त
मीडिया से बातचीत में परवेश वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया, जिसके लिए वे उनके आभारी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी दिल्ली की सीट को अब साहिब सिंह वर्मा की सीट के रूप में जाना जाता है, और यहां की सभी सीटें भाजपा को मिली हैं। इससे 1993 की याद ताजा हो गई, जब दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।
1993 की यादें ताजगी से लौट आईं
वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली में सरकार बनाई थी। उस समय मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने थे, और कुछ समय बाद परवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। इस जीत ने भाजपा को दिल्ली में मजबूत किया था, और अब एक बार फिर से वह पुरानी यादें ताजगी से लौट आईं।
भाजपा मुख्यालय में जश्न का माहौल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से 48 सीटें जीतने के बाद भाजपा मुख्यालय में उत्सव का माहौल था। इस जीत ने पार्टी को ऐतिहासिक सफलता दिलाई, खासतौर पर जब 27 साल बाद दिल्ली में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की। पार्टी के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित मुख्यालय में तो जैसे दीपावली का माहौल था।
विजयी जोश में रंगी दिल्ली की सड़कों पर होली जैसा जश्न
भाजपा मुख्यालय की गली में रंगों से भरे उत्सव की शुरुआत हो गई थी। गुलाल उड़ाए जा रहे थे और लोग एक-दूसरे को तिलक लगाकर बधाई दे रहे थे। ढोल की थाप पर लोग नाचते हुए जश्न मना रहे थे। दिल्ली की हर सड़क पर मोदी-मोदी के नारे गूंज रहे थे, और पार्टी के झंडे ध्वज के रूप में लहराते हुए उत्साह का वातावरण बना हुआ था।
प्रवेश वर्मा की जीत पर पार्टी का जोश
इस जीत के बाद परवेश वर्मा के साथ भाजपा कार्यकर्ता इतने उत्साहित थे कि वे एक-दूसरे को मिठाई खिला रहे थे, साथ ही मोदी के कटआउट को गले लगा रहे थे। भाजपा के कार्यकर्ताओं में यह जीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसने दिल्ली की राजनीति में भाजपा की एक और बड़ी विजय का प्रतीक माना गया।