कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जो अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं, इस बार एक बयान के कारण हिंदू धर्म से बहिष्कृत होने के खतरे में हैं। यह मामला हाथरस रेप पीड़िता के संदर्भ में संसद में दिए गए उनके भाषण से जुड़ा है। इस बयान के बाद साधु-संतों ने कड़ी नाराजगी जताई और प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान धर्म संसद ने उन्हें एक महीने के भीतर अपना पक्ष रखने की चेतावनी दी है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें हिंदू धर्म से बाहर कर दिया जाएगा।
राहुल गांधी का विवादित बयान
कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने हाथरस रेप पीड़िता के परिवार के दुख को संसद में उठाया। उन्होंने दावा किया कि रेप पीड़िता के आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं जबकि पीड़िता का परिवार पुलिस की पहरे में अपने घर में बंद है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य के मुख्यमंत्री ने मीडिया में झूठी जानकारी दी और पीड़िता के अंतिम संस्कार को रोक दिया। इस दौरान राहुल गांधी ने मनुस्मृति का भी उल्लेख किया और पूछा कि क्या संविधान में यह लिखा है कि बलात्कारी बाहर घूमे और पीड़िता का परिवार बंदी रहे।
साधु-संतों की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के इस बयान पर प्रयागराज के साधु-संत बेहद नाराज हो गए। महाकुंभ में आयोजित धर्म संसद में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की अध्यक्षता में राहुल गांधी के बयान की निंदा की गई। शंकराचार्य ने कहा कि राहुल गांधी को या तो माफी मांगनी होगी या फिर उन्हें हिंदू धर्म से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। यह निंदा प्रस्ताव इस बात का संकेत था कि धार्मिक संगठन राहुल गांधी से संतुष्ट नहीं हैं।
माफी की संभावना और धर्म संसद का फैसला
अब सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी माफी मांगेंगे या धर्म संसद के फैसले को चुनौती देंगे? राहुल गांधी के तेवर को देखकर ऐसा लगता है कि वह माफी नहीं मांगेंगे। उनके खिलाफ कई मानहानि के मुकदमे चल रहे हैं, लेकिन अब तक वह माफी नहीं मांगे। हालांकि, यह ध्यान देने की बात है कि धर्म संसद का यह फैसला कानूनी रूप से कोई असर नहीं डालेगा। यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक निर्णय हो सकता है और इसका संविधान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
राहुल गांधी का यह विवाद निश्चित रूप से राजनीति और धर्म से जुड़े सवालों को जन्म दे रहा है। जहां एक ओर धर्म संसद ने कड़ी चेतावनी दी है, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी ने माफी नहीं मांगी तो इसका राजनीतिक और धार्मिक नफा-नुकसान हो सकता है, लेकिन कानूनी रूप से उनकी हिंदू पहचान पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।