हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस वर्ष यह पर्व 30 मार्च 2025 से आरंभ हो रहा है। खास बात यह है कि इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन के बजाय 8 दिन की होगी। साथ ही, इस दिन से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है, जिससे इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है। नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं।
कलश स्थापना का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। घटस्थापना के दिन भक्तजन विशेष विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं और नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
मां शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन की देवी
कौन हैं मां शैलपुत्री?
माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, इसलिए इन्हें यह नाम मिला। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में यह सती के रूप में जानी जाती थीं और भगवान शिव की अर्धांगिनी थीं। उनके पिता दक्ष प्रजापति द्वारा भगवान शिव का अपमान किए जाने से आहत होकर उन्होंने यज्ञ की अग्नि में स्वयं को समर्पित कर दिया। इसके बाद, अगले जन्म में वे हिमालय की पुत्री के रूप में अवतरित हुईं और पुनः भगवान शिव से विवाह किया।
कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा?
-सर्वप्रथम स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
-पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर माता शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
-घी का दीपक जलाएं और माता को लाल या सफेद फूल अर्पित करें।
-गाय के दूध से बने घी का भोग लगाएं।
-'ॐ दुं दुर्गाय नमः' मंत्र का जाप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
-पूजा के बाद लौंग को कलावे में बांधकर माला बनाएं और मां को अर्पित करें।
-अंत में, अपनी मनोकामना बोलते हुए माता से आशीर्वाद प्राप्त करें।
मां शैलपुत्री की पूजा का आध्यात्मिक महत्व
नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। पान के पत्ते पर लौंग, सुपारी और मिश्री रखकर मां को अर्पित करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
आध्यात्मिक रूप से, साधक इस दिन अपने मूलाधार चक्र को सक्रिय करने का प्रयास करते हैं। यह चक्र जागृत होने पर मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
विशेष उपाय जो ला सकते हैं जीवन में शुभता:
-दोपहर के समय लाल वस्त्र पहनकर मां शैलपुत्री की आराधना करें।
-देवी को लाल फूल और फल अर्पित करें।
-तांबे का सिक्का देवी के चरणों में रखें और फिर इसे अपने पास रखें।
-"ॐ दुं दुर्गाय नमः" या "ॐ शैलपुत्रये नमः" मंत्र का जाप करें।
-सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" मंत्र की कम से कम तीन माला जाप करें।
-तांबे का छल्ला धारण करें, जिससे कुंडली में सूर्य मजबूत होगा और भाग्य का साथ मिलेगा।
चैत्र नवरात्रि का यह पावन पर्व भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और नवचेतना का अवसर है। सही विधि से मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और हर संकट दूर होते हैं। इस नवरात्रि, श्रद्धा और भक्ति से माता की उपासना करें और अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरें।