पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर निर्णय देते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता ऐसा कोई कानूनी आधार पेश करने में असफल रहे हैं, जो यह अनिवार्य करता हो कि कब्रिस्तान को मुस्लिम समुदाय की आबादी के निकट होना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में समालखा म्यूनिसिपल कमेटी और पानीपत के डीसी को याचिकाकर्ता द्वारा सौंपे गए मांगपत्र पर 30 दिनों के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया।
याचिका की पृष्ठभूमि
यह याचिका रियाजुद्दीन और अन्य ने दाखिल की थी, जिन्होंने बताया कि वे पानीपत के भापुरा गांव के निवासी हैं और मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत में यह कहा कि उनके गांव से कब्रिस्तान कुछ दूरी पर स्थित है। उन्होंने यह भी बताया कि मुस्लिम आबादी एक ओर है और कब्रिस्तान दूसरी ओर स्थित है, जिसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। याचिका में मांग की गई थी कि कब्रिस्तान को गांव के वार्ड नंबर 2 और 3 के पास स्थानांतरित किया जाए।
सरकार का पक्ष
हरियाणा सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कब्रिस्तान, मुस्लिम आबादी से केवल 2 किलोमीटर दूर स्थित है। सरकार ने यह भी बताया कि गांव से कुछ ही दूरी पर अंडर पास मौजूद हैं, जो एक्सप्रेस-वे को पार करने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस आधार पर सरकार ने हाईकोर्ट से याचिका को खारिज करने का आग्रह किया।
कोर्ट का निर्णय
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकील ऐसा कोई कानूनी प्रावधान प्रस्तुत करने में असफल रहे हैं, जो यह प्रमाणित करता हो कि कब्रिस्तान को मुस्लिम समुदाय के आवास के पास बनाना आवश्यक है। कोर्ट ने इस मामले के गुण-दोष में न जाने का फैसला किया और याचिकाकर्ताओं को अपने मांगपत्र को संबंधित अधिकारियों को सौंपने का आदेश दिया।
60 दिन में निर्णय लेने का आदेश
हाईकोर्ट ने समालखा म्यूनिसिपल कमेटी और पानीपत के डीसी को याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए मांगपत्र पर 60 दिनों के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया, ताकि इस मुद्दे का समाधान जल्दी से जल्दी किया जा सके।